गूगल में रैंक करने के लिए पोस्ट की एवरेज लेंथ क्या होनी चाहिए?

गूगल में रैंक करने के लिए पोस्ट की एवरेज लेंथ क्या होनी चाहिए?

अगर आप एक ब्लॉग या वेबसाइट चला रहे हैं, तो आपने शायद यह सवाल कई बार सुना होगा: "गूगल में रैंक करने के लिए पोस्ट की एवरेज लेंथ क्या होनी चाहिए?" यह एक महत्वपूर्ण सवाल है क्योंकि गूगल के एल्गोरिद्म और रैंकिंग फैक्टर्स हमेशा बदलते रहते हैं। सही लेंथ जानना आपकी कंटेंट स्ट्रैटेजी के लिए जरूरी है।

1. कंटेंट लेंथ का क्या महत्व है? समझें 

गूगल का मुख्य उद्देश्य यूजर्स को उनकी क्वेरी का सबसे प्रासंगिक और उपयोगी उत्तर देना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके आर्टिकल्स सर्च रिजल्ट्स में हाई रैंक करें, उन्हें केवल लंबा नहीं, बल्कि क्वालिटी वाला भी होना चाहिए।

गूगल के लिए कंटेंट लेंथ क्यों मायने रखती है?

  • डीप कवरेज: लंबी पोस्ट्स में टॉपिक का डीटेल में कवरेज संभव होता है, जिससे गूगल को समझ में आता है कि आपका आर्टिकल यूजर की क्वेरी का पूरा जवाब देने में सक्षम है।
  • अथॉरिटी बिल्डिंग: लंबी पोस्ट्स आपको विषय में एक्सपर्ट के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जिससे यूजर्स और गूगल दोनों का भरोसा जीतने में मदद मिलती है।
  • इंगेजमेंट: अगर आपका कंटेंट यूजर्स को पढ़ने में अच्छा लगता है और वे उसे शेयर करते हैं, तो इससे गूगल को संकेत मिलता है कि आपकी पोस्ट उपयोगी है।

2. सही लेंथ का आंकलन कैसे करें? सीखें 

अब सवाल यह है कि गूगल में रैंक करने के लिए सही लेंथ क्या होनी चाहिए? कुछ स्टडीज और रिसर्च यह बताती हैं कि लगभग 1500 से 2000 शब्दों की पोस्ट्स आमतौर पर गूगल में बेहतर रैंक करती हैं। लेकिन यह बात हमेशा सही नहीं होती।

गूगल के एल्गोरिद्म की भूमिका

गूगल के एल्गोरिद्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह देखता है कि कंटेंट कितना उपयोगी और प्रासंगिक है। इसका मतलब यह है कि सिर्फ शब्दों की संख्या से ही रैंकिंग तय नहीं होती, बल्कि कंटेंट की गुणवत्ता और उपयोगिता भी महत्वपूर्ण है।

विविधता और यूजर इंटेंट

हर टॉपिक के लिए एक फिक्स्ड लेंथ नहीं हो सकती। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस टॉपिक पर लिख रहे हैं और आपका टारगेट ऑडियंस कौन है। उदाहरण के लिए:

  • गाइड्स और ट्यूटोरियल्स: यह पोस्ट्स अक्सर लंबी होती हैं क्योंकि उनमें डीटेल्स में जानकारी दी जाती है। ऐसी पोस्ट्स की लेंथ आमतौर पर 2000 शब्दों से अधिक होती है।
  • न्यूज़ और अपडेट्स: इन पोस्ट्स की लेंथ थोड़ी छोटी हो सकती है, क्योंकि इनका उद्देश्य जल्दी और सटीक जानकारी देना होता है। ऐसी पोस्ट्स की लेंथ आमतौर पर 800 से 1200 शब्दों के बीच होती है।

वर्ड काउंट का मॉनिटरिंग

अगर आप अपने पोस्ट्स की लेंथ को मॉनिटर करना चाहते हैं, तो इसके लिए कई टूल्स उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ टूल्स आपको यह भी बताएंगे कि आपके प्रतिस्पर्धियों की पोस्ट्स कितनी लंबी हैं और वे गूगल में कैसे रैंक कर रही हैं।

3. कॉन्टेंट क्वालिटी बनाम कॉन्टेंट क्वांटिटी

जब आप अपने आर्टिकल्स की लंबाई पर ध्यान दे रहे होते हैं, तो यह जरूरी है कि आप क्वालिटी को नजरअंदाज न करें। गूगल ने कई बार स्पष्ट किया है कि वह ऐसी वेबसाइट्स को प्रायोरिटी देता है जो यूजर्स को वैल्यू प्रदान करती हैं, न कि सिर्फ शब्दों की लंबाई पर जोर देती हैं।

गूगल का फोकस: क्वालिटी

गूगल के एल्गोरिद्म में क्वालिटी कंटेंट को पहचानने की क्षमता है। इसका मतलब यह है कि यदि आपका कंटेंट बहुत लंबा है लेकिन उसमें यूजफुल जानकारी की कमी है, तो वह बेहतर रैंक नहीं करेगा। इसलिए, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका कंटेंट न केवल लंबा हो, बल्कि उसमें डीप और इनसाइटफुल जानकारी भी हो।

रिलेवेंसी और यूजर इंटेंट

गूगल का मुख्य उद्देश्य यूजर्स को उनकी क्वेरी का सबसे अच्छा उत्तर देना है। यदि आपका कंटेंट यूजर इंटेंट से मेल खाता है, तो यह गूगल के लिए एक पॉजिटिव सिग्नल है।

  • इन्फॉर्मेशनल पोस्ट्स: अगर यूजर किसी विशेष जानकारी की तलाश में है, तो आपकी पोस्ट को उस जानकारी को डीटेल में कवर करना चाहिए।
  • ट्रांजैक्शनल पोस्ट्स: अगर यूजर कुछ खरीदने के बारे में सोच रहा है, तो आपकी पोस्ट को उसे सही निर्णय लेने में मदद करनी चाहिए।

4. कॉम्पिटिशन और एनालिसिस

यह जानना कि आपके प्रतिस्पर्धी किस तरह के कंटेंट पब्लिश कर रहे हैं, आपको सही रणनीति बनाने में मदद कर सकता है।

कॉम्पिटिटिव रिसर्च

आपके टॉपिक से जुड़े टॉप रैंकिंग पोस्ट्स का एनालिसिस करें। देखें कि उनकी औसत लंबाई कितनी है, वे किन कीवर्ड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, और उनकी कंटेंट स्ट्रक्चर कैसी है।

अपनी पोस्ट्स का मॉडरेशन

आपकी पोस्ट्स की लेंथ भी इस बात पर निर्भर करती है कि आपके टॉपिक का स्कोप कितना बड़ा है। अगर आपका टॉपिक बहुत बड़ा है, तो आपको उसे डीटेल में कवर करना चाहिए। अगर यह छोटा है, तो कम शब्दों में भी आप उसका अच्छा कवरेज कर सकते हैं।

5. कैसे तय करें कि आपकी पोस्ट की लेंथ क्या होनी चाहिए?

अब जबकि हमने कंटेंट लेंथ और क्वालिटी के महत्व को समझ लिया है, तो सवाल उठता है कि आपकी पोस्ट की सही लेंथ क्या होनी चाहिए। इसके लिए कुछ स्टेप्स फॉलो किए जा सकते हैं:

ऑडियंस की जरूरतें समझें

आपकी पोस्ट की लेंथ इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी ऑडियंस किस तरह की जानकारी की तलाश में है।

  • डीप एनालिसिस: अगर आपकी ऑडियंस डीटेल्ड एनालिसिस चाहती है, तो लंबी पोस्ट्स बेहतर हो सकती हैं।
  • क्विक इन्फॉर्मेशन: अगर आपकी ऑडियंस क्विक और टू-द-पॉइंट जानकारी चाहती है, तो छोटी पोस्ट्स भी पर्याप्त हो सकती हैं।

कीवर्ड रिसर्च

कीवर्ड रिसर्च के माध्यम से आपको यह समझ में आ सकता है कि यूजर्स किस तरह की जानकारी की तलाश कर रहे हैं।

  • कीवर्ड का स्कोप: अगर आपका टारगेट कीवर्ड बहुत ब्रॉड है, तो आपको उसकी डीटेल्ड जानकारी देनी होगी।
  • कीवर्ड की कम्पटीशन: अगर कीवर्ड पर बहुत कम्पटीशन है, तो आपको एक यूनिक और डीटेल्ड कंटेंट तैयार करना होगा।

कंटेंट का टाइप

आपका कंटेंट टाइप भी पोस्ट की लेंथ को प्रभावित कर सकता है।

  • गाइड्स और ई-बुक्स: अगर आप गाइड्स या ई-बुक्स लिख रहे हैं, तो उन्हें ज्यादा लंबा रखना बेहतर हो सकता है।
  • ब्लॉग पोस्ट्स: ब्लॉग पोस्ट्स की लेंथ फ्लेक्सिबल हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका टॉपिक कितना डीटेल्ड है।

6. कॉन्टेंट लेंथ ऑप्टिमाइजेशन टिप्स

यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जिनसे आप अपने कंटेंट की लेंथ को सही तरीके से ऑप्टिमाइज कर सकते हैं:

हर पैराग्राफ का उद्देश्य रखें

कंटेंट में हर पैराग्राफ का एक स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए। इससे आपकी पोस्ट कंसीस्टेंट और एंगेजिंग बनेगी।

सबहेडिंग्स का उपयोग करें

लंबे आर्टिकल्स में सबहेडिंग्स का उपयोग करके आप यूजर्स के लिए कंटेंट को आसान बना सकते हैं। इससे उन्हें अपनी क्वेरी का उत्तर जल्दी मिल जाएगा।

रीडेबिलिटी का ध्यान रखें

लंबी पोस्ट्स को रीडेबल बनाना भी जरूरी है। पैराग्राफ्स को छोटे रखें, बुलेट पॉइंट्स और लिस्ट्स का उपयोग करें, और इमेजेज या चार्ट्स ऐड करें।

आखिर में 

कुल मिलाकर, गूगल में बेहतर रैंक करने के लिए कंटेंट की लेंथ महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अकेला फैक्टर नहीं है। सही स्ट्रैटेजी यह होगी कि आप अपने टॉपिक, ऑडियंस, और कीवर्ड्स के आधार पर पोस्ट की लेंथ और क्वालिटी दोनों पर ध्यान दें। 1500 से 2000 शब्दों की पोस्ट्स आमतौर पर बेहतर परफॉर्म करती हैं, लेकिन अंततः क्वालिटी और यूजर इंटेंट ही गूगल में आपकी सफलता की कुंजी हैं।

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