प्रॉम्प्ट्स बनाते समय सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी - प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, जब हम AI या मशीन लर्निंग मॉडल्स के लिए निर्देश तैयार करते हैं, तो सिम्पलिसिटी (सरलता) और कम्प्लेक्सिटी (जटिलता) के बीच एक संतुलन बनाना आवश्यक होता है। यह संतुलन इस बात को सुनिश्चित करता है कि मॉडल सही और सटीक उत्तर प्रदान कर सके, जबकि साथ ही साथ उपयोगकर्ता की जरूरतों और अपेक्षाओं को भी पूरा कर सके।
1. सिम्पलिसिटी का महत्व समझें
सिम्पलिसिटी का मतलब है कि प्रॉम्प्ट्स को इस तरह से डिजाइन किया जाए कि वे स्पष्ट, संक्षिप्त और समझने में आसान हों। सरल प्रॉम्प्ट्स AI को अधिक स्पष्ट निर्देश प्रदान करते हैं, जिससे वह तेज़ी से और सटीकता के साथ उत्तर दे सकता है।
1.1 स्पष्टता और सटीकता पाएं
सिम्पल प्रॉम्प्ट्स AI को समझने में आसानी होती है, जिससे गलतफहमी की संभावना कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, "Tell me about the weather today" एक सिम्पल प्रॉम्प्ट है, जो AI को स्पष्ट और सटीक उत्तर देने के लिए निर्देशित करता है।
1.2 तेजी से प्रतिक्रिया पाएं
सरल प्रॉम्प्ट्स AI को तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाते हैं, क्योंकि इसमें अधिक प्रोसेसिंग की आवश्यकता नहीं होती। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि सिस्टम की दक्षता भी बढ़ती है।
1.3 उपयोगकर्ता अनुभव सुधारें
सरल प्रॉम्प्ट्स उपयोगकर्ताओं के लिए भी अधिक फायदेमंद होते हैं, क्योंकि वे आसानी से समझ सकते हैं कि AI से क्या अपेक्षित है। इससे यूजर इंटरफेस अधिक सहज और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनता है।
2. सिम्पलिसिटी की सीमाएं जानें
हालांकि सिम्पलिसिटी का कई मामलों में महत्व है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी होती हैं। कभी-कभी, बहुत अधिक सरल प्रॉम्प्ट्स AI को सही दिशा में निर्देशित नहीं कर पाते, जिससे उत्तर में गहराई या विविधता की कमी हो सकती है।
2.1 जानकारी की सीमितता
सरल प्रॉम्प्ट्स के कारण AI को जानकारी के सीमित संदर्भ में उत्तर देना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, "Tell me about the weather" प्रॉम्प्ट्स से AI सिर्फ वर्तमान मौसम की स्थिति बता सकता है, लेकिन वह अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि हवा की गति, नमी, या अगले कुछ दिनों की भविष्यवाणी नहीं कर सकता।
2.2 जटिल समस्याओं के समाधान में असमर्थता
जटिल समस्याओं या गहराई से विश्लेषण की आवश्यकता वाले मुद्दों के लिए, सिम्पल प्रॉम्प्ट्स हमेशा पर्याप्त नहीं होते। उदाहरण के लिए, "Explain the impact of climate change" एक जटिल विषय है जिसे एक सरल प्रॉम्प्ट से समझाना कठिन हो सकता है।
2.3 उपयोगकर्ता की अपेक्षाओं में कमी
कभी-कभी उपयोगकर्ता की अपेक्षाएं अधिक जटिल या विस्तृत होती हैं, और सरल प्रॉम्प्ट्स इन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते। इससे उपयोगकर्ता को AI के उत्तर से असंतोष हो सकता है।
3. कम्प्लेक्सिटी का महत्व समझें
कम्प्लेक्सिटी का मतलब है कि प्रॉम्प्ट्स में अधिक विस्तार, गहराई, और विविधता हो, जिससे AI को व्यापक रूप से सोचने और उत्तर देने की क्षमता मिले। जटिल प्रॉम्प्ट्स AI को अधिक सटीक और विविधता से परिपूर्ण उत्तर देने में सक्षम बनाते हैं।
3.1 गहराई और विश्लेषण प्राप्त करें
कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स AI को विषय की गहराई में जाकर विश्लेषण करने का अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, "Analyze the economic and environmental impacts of climate change on coastal regions" यह एक कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट है, जो AI को विस्तृत और गहराई से उत्तर देने के लिए प्रेरित करता है।
3.2 विविधता और व्यापकता पाएं
जटिल प्रॉम्प्ट्स AI को विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने और उत्तर देने की अनुमति देते हैं। इससे उत्तर में विविधता आती है और उपयोगकर्ता को अधिक व्यापक जानकारी मिलती है।
3.3 जटिल समस्याओं का समाधान पाएं
कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स AI को जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाते हैं। उदाहरण के लिए, "Design a plan to reduce carbon emissions while ensuring economic growth" यह एक जटिल समस्या है, जिसके लिए कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स का उपयोग करना आवश्यक होता है।
4. कम्प्लेक्सिटी की सीमाएं जानें
कम्प्लेक्सिटी के कई लाभ हैं, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी होती हैं। बहुत जटिल प्रॉम्प्ट्स AI को भ्रमित कर सकते हैं, जिससे उत्तर असंगत या अव्यवस्थित हो सकते हैं।
4.1 प्रोसेसिंग समय अधिक होता है
जटिल प्रॉम्प्ट्स के कारण AI को उत्तर देने में अधिक समय लग सकता है, क्योंकि उसे अधिक जानकारी को प्रोसेस करना पड़ता है। इससे प्रतिक्रिया समय बढ़ सकता है, जो कि कुछ स्थितियों में अवांछनीय हो सकता है।
4.2 उत्तर की अस्पष्टता हो सकती है
कभी-कभी, बहुत जटिल प्रॉम्प्ट्स AI को अस्पष्ट या असंगत उत्तर देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर प्रॉम्प्ट्स में बहुत अधिक तत्व शामिल हैं, तो AI उन सभी को सही ढंग से संतुलित नहीं कर सकता।
4.3 उपयोगकर्ता भ्रम हो सकता है
कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स उपयोगकर्ता को भी भ्रमित कर सकते हैं, खासकर अगर उन्हें यह समझ में नहीं आता कि AI से क्या अपेक्षित है। इससे उपयोगकर्ता अनुभव प्रभावित हो सकता है और वे AI के उत्तरों से संतुष्ट नहीं हो सकते।
5. सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन बनायें
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सबसे बड़ी चुनौती सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच सही संतुलन बनाना है। यह संतुलन सुनिश्चित करता है कि AI न केवल सटीक और तेज उत्तर दे, बल्कि वह उपयोगकर्ता की अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को भी पूरा कर सके।
5.1 संदर्भ के आधार पर चयन करें
सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन का निर्धारण संदर्भ पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, अगर उपयोगकर्ता को त्वरित और सटीक उत्तर की आवश्यकता हो, तो सिम्पल प्रॉम्प्ट्स बेहतर होते हैं। वहीं, अगर उपयोगकर्ता गहराई से जानकारी चाहता है, तो कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स का उपयोग किया जाना चाहिए।
5.2 प्रॉम्प्ट्स को अनुकूल बनायें
प्रॉम्प्ट्स को अनुकूलित करना भी महत्वपूर्ण है ताकि वे उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार सिम्पल या कम्प्लेक्स हो सकें। उदाहरण के लिए, एक ही प्रॉम्प्ट को विभिन्न तरीकों से डिजाइन किया जा सकता है, जैसे "Describe the weather today" (सिम्पल) और "Analyze the weather patterns of the last week and predict the trends for the next few days" (कम्प्लेक्स)।
5.3 उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया का महत्व समझें
उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए प्रॉम्प्ट्स को निरंतर सुधार करना आवश्यक है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रॉम्प्ट्स सही दिशा में हैं और वे सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच सही संतुलन बना रहे हैं।
6. प्रॉम्प्ट्स डिजाइन करने के सिद्धांत जानें
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के संतुलन को बनाए रखने के लिए कुछ सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
6.1 उद्देश्य की स्पष्टता पर ध्यान दें
प्रॉम्प्ट्स को डिजाइन करते समय उनके उद्देश्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर प्रॉम्प्ट का उद्देश्य त्वरित उत्तर प्राप्त करना है, तो उसे सिम्पल होना चाहिए। वहीं, अगर उद्देश्य गहराई से जानकारी प्राप्त करना है, तो कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स का उपयोग करना चाहिए।
6.2 सटीक निर्देश दें
प्रॉम्प्ट्स में सटीक निर्देश शामिल करना आवश्यक है ताकि AI सही दिशा में काम कर सके। उदाहरण के लिए, "Explain the impact of industrialization" के बजाय "Explain the impact of industrialization on urban development in the 19th century" अधिक सटीक प्रॉम्प्ट है।
6.3 उपयोगकर्ता का दृष्टिकोण समझें
प्रॉम्प्ट्स को डिजाइन करते समय उपयोगकर्ता के दृष्टिकोण को ध्यान में रखना चाहिए। इससे प्रॉम्प्ट्स का प्रभावी और उपयोगकर्ता-अनुकूल होना सुनिश्चित होता है। उदाहरण के लिए, अगर उपयोगकर्ता तकनीकी ज्ञान नहीं रखता है, तो प्रॉम्प्ट्स को सिम्पल रखना चाहिए।
7. सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के उदाहरण से समझें
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के संतुलन को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुछ उदाहरणों को देखना उपयोगी हो सकता है।
7.1 सिम्पल प्रॉम्प्ट्स
- "What is the capital of France?"
- "Describe the weather today."
- "What is the boiling point of water?"
7.2 कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स
- "Analyze the economic impact of World War II on European countries."
- "Compare and contrast the political systems of the United States and China."
- "Design a sustainable development plan for a rapidly growing city."
8. निष्कर्ष चुनौतीपूर्ण
सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी का प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन यह AI के प्रदर्शन और उपयोगकर्ता अनुभव के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
9. प्रॉम्प्ट्स का कंटेक्स्ट और उद्देश्य समझें
जब हम सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन की बात करते हैं, तो प्रॉम्प्ट्स के कंटेक्स्ट और उनके उद्देश्य को समझना बेहद जरूरी हो जाता है। हर प्रॉम्प्ट का एक विशेष उद्देश्य होता है, और उसके अनुसार ही उसकी जटिलता या सरलता को निर्धारित किया जाना चाहिए।
9.1 उपयोगकर्ता की आवश्यकता का विश्लेषण करें
प्रॉम्प्ट्स बनाते समय सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि उपयोगकर्ता की क्या आवश्यकता है। यदि उपयोगकर्ता त्वरित और स्पष्ट जानकारी चाहता है, तो प्रॉम्प्ट्स को सरल रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, "What is the capital of Japan?" जैसा सरल प्रॉम्प्ट उपयोगकर्ता को त्वरित उत्तर देने में सक्षम है।
9.2 उद्देश्य की परिभाषा जानें
प्रॉम्प्ट्स के उद्देश्य को सही ढंग से परिभाषित करना आवश्यक है ताकि AI को सही दिशा में निर्देशित किया जा सके। उदाहरण के लिए, यदि उद्देश्य किसी विशेष विषय पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत करना है, तो प्रॉम्प्ट्स को जटिल बनाना आवश्यक हो सकता है।
10. प्रॉम्प्ट्स के फॉर्मेट और संरचना पर ध्यान दें
प्रॉम्प्ट्स की सरलता या जटिलता को निर्धारित करने में उनकी संरचना और फॉर्मेट का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
10.1 संक्षिप्त और सीधी संरचना समझें
सरल प्रॉम्प्ट्स अक्सर संक्षिप्त और सीधी संरचना में होते हैं। इसका मतलब है कि प्रॉम्प्ट्स को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे एक ही वाक्य या छोटे से पैराग्राफ में उत्तर की मांग करते हैं। उदाहरण के लिए, "Who was the first President of the United States?" एक संक्षिप्त प्रॉम्प्ट है, जो AI से एक सरल और सटीक उत्तर प्राप्त करने के लिए बनाया गया है।
10.2 विस्तृत और गहन संरचना समझें
विस्तृत और गहन प्रॉम्प्ट्स की संरचना आमतौर पर जटिल होती है और इनमें कई पहलुओं पर विचार किया जाता है। ऐसे प्रॉम्प्ट्स AI को विस्तृत और विश्लेषणात्मक उत्तर देने के लिए प्रेरित करते हैं। उदाहरण के लिए, "Evaluate the economic, social, and political factors that contributed to the fall of the Roman Empire" यह एक विस्तृत प्रॉम्प्ट है, जो AI से गहन विश्लेषण की मांग करता है।
11. संतुलन का महत्व जानें
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन बनाना आवश्यक होता है। यह संतुलन केवल AI के प्रदर्शन को ही नहीं, बल्कि उपयोगकर्ता की संतुष्टि को भी प्रभावित करता है।
11.1 सही दिशा में निर्देश
संतुलित प्रॉम्प्ट्स AI को सही दिशा में निर्देशित करते हैं, जिससे वह उपयोगकर्ता की अपेक्षाओं के अनुसार उत्तर दे सके। संतुलित प्रॉम्प्ट्स के उदाहरण में वह प्रॉम्प्ट्स आते हैं, जो न तो बहुत सरल होते हैं और न ही बहुत जटिल। उदाहरण के लिए, "Explain the effects of climate change on global agriculture" यह प्रॉम्प्ट AI से विस्तृत लेकिन प्रबंधनीय उत्तर की अपेक्षा करता है।
11.2 उपयोगकर्ता की संतुष्टि
प्रॉम्प्ट्स का सही संतुलन उपयोगकर्ता की संतुष्टि को बढ़ाता है। यदि प्रॉम्प्ट्स बहुत सरल हैं, तो उपयोगकर्ता को उत्तर में गहराई की कमी महसूस हो सकती है। दूसरी ओर, यदि प्रॉम्प्ट्स बहुत जटिल हैं, तो उपयोगकर्ता को उत्तर समझने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए, संतुलित प्रॉम्प्ट्स का उपयोग करना आवश्यक है ताकि उपयोगकर्ता को एक सार्थक और उपयोगी उत्तर मिल सके।
12. प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सर्वोत्तम प्रथाएँ जानें
प्रॉम्प्ट्स बनाते समय सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करना चाहिए।
12.1 स्पष्टता को प्राथमिकता दें
प्रॉम्प्ट्स को स्पष्ट और समझने में आसान बनाएं। यदि प्रॉम्प्ट्स स्पष्ट नहीं होते हैं, तो AI के उत्तर में गलतफहमी की संभावना बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, "What is the significance of the Industrial Revolution?" यह एक स्पष्ट और सीधा प्रॉम्प्ट है, जो AI से एक विशिष्ट उत्तर की अपेक्षा करता है।
12.2 आवश्यकता के अनुसार विवरण जोड़ें
जहां आवश्यकता हो, वहां प्रॉम्प्ट्स में विवरण जोड़ें। यदि कोई प्रॉम्प्ट बहुत ही संक्षिप्त है और विषय की गहराई को कैप्चर नहीं कर पा रहा है, तो उसमें आवश्यक विवरण जोड़ना चाहिए। उदाहरण के लिए, "Discuss the impact of the Industrial Revolution on 19th century European society, focusing on urbanization and labor conditions." यह प्रॉम्प्ट विषय की गहराई को अधिक स्पष्टता से कैप्चर करता है।
12.3 टेस्ट और पुनरीक्षण करें
प्रॉम्प्ट्स को टेस्ट और पुनरीक्षण करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सही दिशा में हैं। टेस्टिंग से यह पता चलता है कि AI के उत्तर संतोषजनक हैं या नहीं। यदि नहीं, तो प्रॉम्प्ट्स को पुनरीक्षित किया जाना चाहिए ताकि उनमें आवश्यक सुधार किया जा सके।
13. सिस्टम डिजाइन और यूजर इंटरफेस का प्रभाव समझें
प्रॉम्प्ट्स की सरलता या जटिलता का प्रभाव केवल AI के उत्तरों पर ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम डिजाइन और यूजर इंटरफेस पर भी पड़ता है।
13.1 यूजर इंटरफेस का डिज़ाइन
यूजर इंटरफेस को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि वह सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी को संतुलित रख सके। उदाहरण के लिए, एक इंटरफेस जो सरल और समझने में आसान हो, वह उपयोगकर्ता को प्रॉम्प्ट्स को सही ढंग से समझने और उनका उपयोग करने में मदद करता है।
13.2 सिस्टम रिस्पॉन्स का समय
कम्प्लेक्स प्रॉम्प्ट्स के कारण सिस्टम रिस्पॉन्स का समय बढ़ सकता है, इसलिए सिस्टम डिजाइन में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उत्तर देने में अनावश्यक देरी न हो। इसके लिए सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है कि वह जटिल प्रॉम्प्ट्स को भी तेजी से प्रोसेस कर सके।
14. भविष्य के प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग के परिदृश्य
जैसे-जैसे प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में नवाचार और सुधार होते रहेंगे, सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन और भी अधिक महत्वपूर्ण होता जाएगा।
14.1 AI और यूजर इंटरफेस के लिए नई तकनीकें
नई तकनीकें, जैसे कि प्राकृतिक भाषा प्रोसेसिंग (NLP) में सुधार, AI को और अधिक सक्षम बनाएंगे। इससे AI सिम्पल और कम्प्लेक्स दोनों प्रकार के प्रॉम्प्ट्स का बेहतर ढंग से उत्तर दे सकेगा।
14.2 स्वायत्त प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग
भविष्य में, AI स्वयं प्रॉम्प्ट्स का निर्माण कर सकेगा, जिससे सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन को और अधिक प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकेगा। उदाहरण के लिए, AI उन प्रॉम्प्ट्स को पहचान सकेगा, जो बहुत जटिल हैं, और उन्हें स्वायत्त रूप से सरल बना सकेगा, या इसके विपरीत।
14.3 यूजर-एडाप्टिव सिस्टम्स
यूजर-एडाप्टिव सिस्टम्स प्रॉम्प्ट्स की जटिलता को उपयोगकर्ता की क्षमता और जरूरतों के अनुसार समायोजित कर सकेंगे। इससे हर उपयोगकर्ता को उनके व्यक्तिगत स्तर के अनुसार प्रॉम्प्ट्स प्राप्त होंगे, जिससे उनके अनुभव को और भी अधिक व्यक्तिगत और संतोषजनक बनाया जा सकेगा।
15. निष्कर्ष
प्रॉम्प्ट्स की सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन बनाना प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संतुलन सुनिश्चित करता है कि AI न केवल सटीक और प्रभावी उत्तर दे सके, बल्कि उपयोगकर्ता की अपेक्षाओं को भी पूरा कर सके।
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में इस संतुलन को बनाए रखने के लिए उद्देश्य की स्पष्टता, उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं का विश्लेषण, और प्रॉम्प्ट्स की संरचना को ध्यान में रखना चाहिए। इसके साथ ही, सिस्टम डिजाइन और यूजर इंटरफेस को भी इस संतुलन को बनाए रखने में सहायक बनाना आवश्यक है।
भविष्य में, जैसे-जैसे AI और प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सुधार होते रहेंगे, सिम्पलिसिटी और कम्प्लेक्सिटी के बीच संतुलन बनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा। यह संतुलन न केवल AI की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि उपयोगकर्ता अनुभव को भी और अधिक बेहतर बनाएगा।
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