कॉमन टर्मिनोलॉजी - प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग
प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो हाल ही में बहुत तेजी से उभरा है। यह तकनीकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मॉडल्स के साथ संवाद स्थापित करने और उनकी क्षमता को समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शब्दावली (टर्मिनोलॉजी) हैं, जिन्हें समझना बेहद आवश्यक है ताकि आप प्रभावी ढंग से AI सिस्टम्स के साथ काम कर सकें। यहां हम प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली टर्मिनोलॉजी पर चर्चा करेंगे।
1. प्रॉम्प्ट
प्रॉम्प्ट वह निर्देश है जिसे उपयोगकर्ता AI मॉडल को देता है। यह एक प्रश्न, निर्देश, या किसी कार्य को पूरा करने के लिए AI से की जाने वाली अनुरोध हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपको AI से किसी विषय पर निबंध लिखने के लिए कहना है, तो आप उसे एक प्रॉम्प्ट के रूप में निर्देश देंगे। प्रॉम्प्ट जितना स्पष्ट और सटीक होगा, AI उतना ही सही और उपयोगी उत्तर प्रदान करेगा।
2. टोकन
टोकन AI मॉडल द्वारा प्रयोग की जाने वाली सबसे छोटी इकाई है। एक वाक्य को टोकन्स में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि शब्द, उप-शब्द, या यहाँ तक कि अक्षर। विभिन्न भाषाओं और संरचनाओं के आधार पर टोकन विभाजन होता है। उदाहरण के लिए, वाक्य "यह एक पुस्तक है" को AI मॉडल अलग-अलग टोकन्स में विभाजित करता है ताकि वह उसे सही ढंग से प्रोसेस कर सके।
3. कॉम्प्लीशन
जब आप एक प्रॉम्प्ट देते हैं, तो AI उसका उत्तर या परिणाम तैयार करता है, जिसे कॉम्प्लीशन कहा जाता है। यह परिणाम आपके प्रॉम्प्ट के आधार पर हो सकता है, जैसे कि उत्तर, विवरण, या किसी कार्य की जानकारी। कॉम्प्लीशन AI के आउटपुट को दर्शाता है और यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि इसे सही ढंग से तैयार किया जाए।
4. कंटेक्स्ट
कंटेक्स्ट वह जानकारी है जो किसी प्रॉम्प्ट या कॉम्प्लीशन के अर्थ को समझने के लिए आवश्यक होती है। AI मॉडल्स कंटेक्स्ट पर आधारित होते हैं, और इसे समझना बेहद महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अगर आप AI को एक वाक्य का अनुवाद करने के लिए कहते हैं, तो यह जरूरी है कि AI पूरे वाक्य को कंटेक्स्ट के आधार पर समझे ताकि सही अनुवाद प्रदान कर सके।
5. बायस
AI मॉडल्स में बायस वह पूर्वाग्रह है जो डेटा सेट या मॉडल की संरचना के कारण उत्पन्न होता है। बायस कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे सांस्कृतिक, लिंग, या जातीय बायस। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में यह ध्यान रखना जरूरी है कि प्रॉम्प्ट या आउटपुट में कोई बायस न हो ताकि परिणाम निष्पक्ष और संतुलित हों।
6. डायवर्सिटी
डायवर्सिटी का मतलब है AI मॉडल से प्राप्त होने वाले परिणामों की विविधता। यह सुनिश्चित करता है कि AI एक ही प्रकार के उत्तर देने के बजाय विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत कर सके। डायवर्सिटी प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव आउटपुट की गुणवत्ता और वैरायटी पर होता है।
7. थ्रेशोल्ड
थ्रेशोल्ड वह बिंदु है जहां एक AI मॉडल किसी उत्तर को स्वीकार करता है या उसे अस्वीकार करता है। थ्रेशोल्ड को बदलने से मॉडल के आउटपुट में बदलाव आ सकता है। यह मापदंड AI के प्रदर्शन को अनुकूलित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है, ताकि मॉडल सही परिणाम प्रस्तुत कर सके।
8. नॉइस
नॉइस वह अनावश्यक डेटा या जानकारी है जो किसी प्रॉम्प्ट या डेटा सेट में हो सकता है और परिणाम को प्रभावित कर सकता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में नॉइस को कम करना बहुत जरूरी है, ताकि AI मॉडल अधिक सटीक और विश्वसनीय परिणाम दे सके।
9. ट्यूनिंग
ट्यूनिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा AI मॉडल की क्षमताओं और परिणामों को बेहतर बनाया जाता है। इसमें विभिन्न पैरामीटर्स और डेटा सेट्स के साथ प्रयोग किया जाता है ताकि मॉडल को उस दिशा में निर्देशित किया जा सके जो उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुरूप हो। ट्यूनिंग से मॉडल की परफॉर्मेंस और सटीकता बढ़ाई जा सकती है।
10. जेनरेटिव मॉडल
जेनरेटिव मॉडल वह AI मॉडल होता है जो नए डेटा को उत्पन्न करता है। यह विभिन्न प्रकार के डेटा जैसे टेक्स्ट, इमेज, और ऑडियो को उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, जेनरेटिव मॉडल का उपयोग नए विचारों, समाधानों या रचनात्मक कंटेंट को उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
11. फाइन-ट्यूनिंग
फाइन-ट्यूनिंग एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी मौजूदा मॉडल को एक विशेष कार्य के लिए अनुकूलित किया जाता है। यह कार्य विशेष प्रकार के डेटा पर आधारित होता है, जिससे मॉडल को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी मॉडल को किसी विशेष भाषा में संवाद करना है, तो उसे उसी भाषा के डेटा पर फाइन-ट्यून किया जा सकता है।
12. लैंग्वेज मॉडल
लैंग्वेज मॉडल वह मॉडल होता है जो मानव भाषा को समझने और उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। ये मॉडल टेक्स्ट को समझने, विश्लेषण करने और नए टेक्स्ट को उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, लैंग्वेज मॉडल का उपयोग संवाद, टेक्स्ट जनरेशन और कई अन्य कार्यों के लिए किया जाता है।
13. प्रेडिक्शन
प्रेडिक्शन वह प्रक्रिया है जिसमें AI मॉडल अगले संभावित शब्द, वाक्यांश या वाक्य को अनुमानित करता है। जब आप एक प्रॉम्प्ट देते हैं, तो AI मॉडल यह अनुमान लगाता है कि आपके द्वारा दिए गए प्रॉम्प्ट का संभावित उत्तर या परिणाम क्या हो सकता है।
14. लर्निंग रेट
लर्निंग रेट वह पैरामीटर है जो AI मॉडल के प्रशिक्षण के दौरान उसकी सीखने की गति को नियंत्रित करता है। अगर लर्निंग रेट बहुत तेज होता है, तो मॉडल अधिक तेजी से सीखता है लेकिन गलती करने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, धीमी लर्निंग रेट मॉडल को अधिक सावधानीपूर्वक और सटीक रूप से सीखने की अनुमति देती है।
15. डेटा सेट
डेटा सेट वह संग्रह होता है जिसमें कई उदाहरण, तथ्य, और जानकारी होती है जिसे AI मॉडल को सिखाया जाता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, मॉडल के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सही और विविध डेटा सेट का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छा डेटा सेट AI मॉडल की सटीकता और परिणाम की विश्वसनीयता को बढ़ा सकता है।
16. ट्रेनिंग
ट्रेनिंग वह प्रक्रिया है जिसमें AI मॉडल को डेटा सेट के माध्यम से सिखाया जाता है कि विभिन्न इनपुट्स के लिए सही आउटपुट कैसे प्रदान किया जाए। मॉडल को सिखाने के लिए लाखों उदाहरणों का उपयोग किया जाता है ताकि वह अलग-अलग प्रकार की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सके। ट्रेनिंग का उद्देश्य यह है कि मॉडल अपने आप नए डेटा का सही उत्तर दे सके।
17. ओवरफिटिंग
ओवरफिटिंग तब होता है जब AI मॉडल ट्रेनिंग डेटा पर बहुत अधिक निर्भर हो जाता है और नए डेटा पर अच्छे परिणाम नहीं दे पाता। इसका मतलब है कि मॉडल ने ट्रेनिंग डेटा को इतना बारीकी से सीखा है कि वह नए या अनदेखे डेटा के साथ संघर्ष करता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, ओवरफिटिंग से बचने के लिए यह जरूरी है कि मॉडल को विविध डेटा सेट्स पर प्रशिक्षित किया जाए।
18. अंडरफिटिंग
अंडरफिटिंग तब होती है जब AI मॉडल ट्रेनिंग डेटा को भी सही से नहीं सीख पाता। इसका मतलब यह है कि मॉडल न तो ट्रेनिंग डेटा पर सही प्रदर्शन कर पा रहा है और न ही नए डेटा पर। अंडरफिटिंग की समस्या तब होती है जब मॉडल पर्याप्त रूप से जटिल नहीं होता या जब ट्रेनिंग सही से नहीं की गई होती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए अधिक परिष्कृत मॉडल और डेटा सेट्स की आवश्यकता होती है।
19. वैरिएबल
वैरिएबल वह तत्व या इकाई है जो किसी प्रॉम्प्ट या डेटा में परिवर्तनशील होता है। इसे बदलकर हम परिणाम में बदलाव ला सकते हैं। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में वैरिएबल्स का सही चयन करना और उन्हें प्रबंधित करना बेहद महत्वपूर्ण होता है, ताकि मॉडल सही ढंग से परिणाम उत्पन्न कर सके।
20. इनपुट
इनपुट वह जानकारी या डेटा है जो हम AI मॉडल को देते हैं ताकि वह उस पर आधारित आउटपुट प्रदान कर सके। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में इनपुट्स का सही तरीके से परिभाषित होना जरूरी है, क्योंकि इससे ही मॉडल का प्रदर्शन और परिणाम प्रभावित होता है। इनपुट जितना सटीक और स्पष्ट होगा, परिणाम उतने ही बेहतर होंगे।
21. आउटपुट
आउटपुट वह परिणाम या उत्तर है जो AI मॉडल आपके दिए गए इनपुट के आधार पर उत्पन्न करता है। यह परिणाम टेक्स्ट, इमेज, या किसी अन्य रूप में हो सकता है। आउटपुट की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि इनपुट और मॉडल का प्रशिक्षण कितना प्रभावी है।
22. हाइपरपैरामीटर्स
हाइपरपैरामीटर्स वे पैरामीटर्स होते हैं जिन्हें मॉडल के प्रशिक्षण से पहले सेट किया जाता है और ये मॉडल के सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये पैरामीटर्स जैसे लर्निंग रेट, बैच साइज आदि यह तय करते हैं कि मॉडल कितनी तेजी से सीखेगा और कितनी सटीकता से परिणाम देगा। सही हाइपरपैरामीटर्स का चयन मॉडल के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
23. एम्बेडिंग्स
एम्बेडिंग्स वह तकनीक है जिसका उपयोग टेक्स्ट को न्यूमेरिकल वैल्यू में बदलने के लिए किया जाता है ताकि AI मॉडल उसे समझ सके। टेक्स्ट या शब्दों को संख्यात्मक रूप में परिवर्तित करके AI मॉडल उसे बेहतर तरीके से प्रोसेस करता है और उसके आधार पर निर्णय लेता है।
24. वेक्टर
वेक्टर एक संख्यात्मक सूची है जो किसी टेक्स्ट, इमेज या डेटा के विभिन्न गुणों को दर्शाती है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, AI मॉडल इन वेक्टर का उपयोग यह समझने के लिए करता है कि दो इनपुट्स कितने समान या भिन्न हैं। वेक्टर का उपयोग खासकर टेक्स्ट और इमेज जनरेशन में किया जाता है।
25. क्लस्टरिंग
क्लस्टरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें समान गुणों वाले डेटा पॉइंट्स को एक समूह में वर्गीकृत किया जाता है। यह प्रक्रिया AI मॉडल को उन इनपुट्स को पहचानने में मदद करती है जो समान होते हैं और उसके आधार पर बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होती है। क्लस्टरिंग का उपयोग खासकर डेटा विश्लेषण और टेक्स्ट प्रोसेसिंग में किया जाता है।
26. डीकोडिंग
डीकोडिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा AI मॉडल इनपुट को आउटपुट में बदलता है। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब मॉडल यह अनुमान लगाने का प्रयास करता है कि दिए गए इनपुट के लिए सबसे उपयुक्त उत्तर क्या होगा। डीकोडिंग की प्रक्रिया जितनी कुशल होगी, आउटपुट उतना ही सटीक और उपयोगी होगा।
27. एन्कोडिंग
एन्कोडिंग वह प्रक्रिया है जिसमें टेक्स्ट या डेटा को एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में बदल दिया जाता है ताकि AI मॉडल उसे समझ सके। उदाहरण के लिए, किसी वाक्य को AI मॉडल के लिए उपयुक्त संख्यात्मक रूप में बदलना एन्कोडिंग कहलाता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में एन्कोडिंग की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इससे मॉडल की समझ और आउटपुट की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
28. न्यूरल नेटवर्क
न्यूरल नेटवर्क AI का वह ढांचा होता है जो मानव मस्तिष्क के कार्य करने के तरीके की नकल करता है। इसमें कई लेयर्स होते हैं जो डेटा को प्रोसेस करने और निर्णय लेने में मदद करते हैं। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में, न्यूरल नेटवर्क का उपयोग जटिल समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है, जैसे टेक्स्ट जनरेशन, छवि पहचान, और भाषा अनुवाद।
29. लर्निंग
लर्निंग वह प्रक्रिया है जिसमें AI मॉडल अपने अनुभवों से सीखता है और नए डेटा के साथ अपनी सटीकता को बढ़ाता है। यह प्रक्रिया मॉडल के प्रदर्शन को निरंतर बेहतर बनाने में मदद करती है। लर्निंग दो प्रकार की होती है: सुपरवाइज्ड लर्निंग और अनसुपरवाइज्ड लर्निंग। सुपरवाइज्ड लर्निंग में मॉडल को एक लेबल किए गए डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, जबकि अनसुपरवाइज्ड लर्निंग में बिना लेबल के डेटा के साथ मॉडल काम करता है।
30. सुपरवाइज्ड लर्निंग
सुपरवाइज्ड लर्निंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें AI मॉडल को एक लेबल किए गए डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसका मतलब है कि डेटा पहले से वर्गीकृत होता है और मॉडल उस डेटा के आधार पर सीखता है। उदाहरण के लिए, यदि आप मॉडल को छवि पहचानने के लिए सिखा रहे हैं, तो आप उसे 'कुत्ता', 'बिल्ली' जैसे लेबल दिए गए चित्र दिखाएंगे ताकि वह इन चित्रों को सही तरीके से पहचान सके।
31. अनसुपरवाइज्ड लर्निंग
अनसुपरवाइज्ड लर्निंग में मॉडल को बिना लेबल किए गए डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है। यह मॉडल डेटा में छिपी हुई संरचनाओं और पैटर्न्स को स्वयं ढूंढता है। यह प्रक्रिया तब उपयोगी होती है जब आपके पास डेटा को लेबल करने का समय या संसाधन नहीं होते।
32. ट्रांसफर लर्निंग
ट्रांसफर लर्निंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक मॉडल को किसी एक कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और फिर उसी मॉडल को दूसरे, संबंधित कार्य के लिए पुनः उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने एक मॉडल को चित्र पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया है, तो आप उसी मॉडल को वीडियो में वस्तुओं की पहचान के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।
33. वैलिडेशन सेट
वैलिडेशन सेट एक डेटा सेट होता है जिसका उपयोग मॉडल की सटीकता और प्रदर्शन को जांचने के लिए किया जाता है। यह सेट ट्रेनिंग के दौरान मॉडल को दिखाया जाता है, लेकिन इस पर मॉडल को प्रशिक्षित नहीं किया जाता। इसका उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है कि मॉडल ट्रेनिंग डेटा के अलावा नए डेटा पर कितना अच्छा प्रदर्शन करता है।
34. जनरलाइजेशन
जनरलाइजेशन वह क्षमता है जिससे AI मॉडल नए और अनदेखे डेटा पर सही ढंग से प्रतिक्रिया कर सकता है। अगर मॉडल सिर्फ ट्रेनिंग डेटा पर अच्छा प्रदर्शन करता है और नए डेटा पर असफल रहता है, तो इसे जनरलाइजेशन की कमी कहा जाता है। अच्छा मॉडल वह होता है जो नए डेटा पर भी सही और सटीक उत्तर प्रदान कर सके।
35. ग्रेडिएंट डिसेंट
ग्रेडिएंट डिसेंट एक ऑप्टिमाइजेशन तकनीक है जिसका उपयोग AI मॉडल को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मॉडल की त्रुटियों को कम करना और इसे अधिक सटीक बनाना होता है। ग्रेडिएंट डिसेंट का उपयोग मॉडल के पैरामीटर्स को समायोजित करने के लिए किया जाता है ताकि आउटपुट सही हो सके।
36. लॉस फंक्शन
लॉस फंक्शन एक गणितीय फ़ॉर्मूला है जो यह मापता है कि मॉडल द्वारा उत्पन्न किए गए परिणाम कितने सही या गलत हैं। यह मॉडल की त्रुटियों को मापता है और यह संकेत देता है कि मॉडल को कैसे सुधारा जा सकता है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में लॉस फंक्शन का उपयोग मॉडल को सुधारने और उसे अधिक सटीक बनाने के लिए किया जाता है।
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