टास्कस को आउटसोर्स करना - एफिलिएट मार्केटिंग

आउट सोर्सिंग टास्कस इन एफिलिएट मार्केटिंग

एफिलिएट मार्केटिंग एक बेहतरीन तरीका है ऑनलाइन इनकम जेनरेट करने का, लेकिन जैसे-जैसे आपकी एफिलिएट वेबसाइट या बिजनेस ग्रो करता है, वैसे-वैसे उस पर काम भी बढ़ता जाता है। कई बार आपके पास इतने सारे टास्क होते हैं कि उन्हें खुद मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में टास्कस को आउटसोर्स करना एक स्मार्ट स्ट्रेटेजी साबित हो सकती है। इस पोस्ट में हम यह समझेंगे कि एफिलिएट मार्केटिंग में टास्कस को आउटसोर्स करना क्यों जरूरी है और कैसे यह आपकी प्रोडक्टिविटी और ग्रोथ में मदद करता है।

1. आउटसोर्सिंग का महत्व समझें 

जब आप एफिलिएट मार्केटिंग में होते हैं, तो आपके सामने कई प्रकार के टास्क होते हैं जैसे कि कंटेंट क्रिएशन, SEO, सोशल मीडिया मैनेजमेंट, वेबसाइट मेंटेनेंस, ईमेल मार्केटिंग, और एनालिटिक्स ट्रैकिंग। ये सारे काम खुद करना काफी समय लेने वाला हो सकता है और इससे आपका मुख्य फोकस, यानी एफिलिएट प्रोडक्ट्स को प्रमोट करना, बाधित हो सकता है। इसीलिए इन टास्कस को आउटसोर्स करना एक जरूरी कदम है ताकि आप अपने बिजनेस के क्रिटिकल एरियाज पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

2. आपका समय बचता है

जब आप हर छोटे-बड़े टास्क को खुद करने की कोशिश करते हैं, तो आपकी एफिशिएंसी प्रभावित होती है। अगर आप कंटेंट राइटिंग, डिज़ाइनिंग, और प्रमोशन सभी खुद करेंगे, तो जरूरी टास्क में कमी आ सकती है। आउटसोर्सिंग से आप उन टास्कस को डेलीगेट कर सकते हैं जिनके लिए एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है, जिससे आपका समय बचता है। आप उस समय को अधिक स्ट्रेटेजिक और हाई-लेवल डिसीजन मेकिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

3. क्वालिटी इंप्रूवमेंट करें 

हर टास्क में मास्टरी पाना मुश्किल है। उदाहरण के लिए, अगर आपको लिखने में उतनी महारत नहीं है, तो आपकी वेबसाइट का कंटेंट उतना प्रभावी नहीं हो सकता है। इसलिए कंटेंट राइटिंग जैसे टास्कस को उन लोगों को आउटसोर्स करना बेहतर हो सकता है जो इसमें माहिर हैं। यह न सिर्फ आपकी वेबसाइट की क्वालिटी को इंप्रूव करता है बल्कि एफिलिएट मार्केटिंग की सफलता की संभावना भी बढ़ाता है।

4. सिस्टम्स और प्रोसेसेज को स्केलेबल बनायें 

जब आप अपना एफिलिएट मार्केटिंग बिजनेस स्केल करना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आपके सिस्टम्स और प्रोसेसेज भी स्केलेबल हों। अगर आप हर चीज़ खुद कर रहे हैं, तो आपके लिए ग्रोथ एक बॉटलनेक बन जाएगी। आउटसोर्सिंग से आप ऐसे सिस्टम बना सकते हैं जो स्केल कर सकें, बिना आपकी इन्वॉल्वमेंट के। उदाहरण के लिए, अगर आपने कंटेंट आउटसोर्स कर रखा है, तो चाहे 10 आर्टिकल लिखवाने हों या 100, आप बस अपने राइटर्स को निर्देश दे सकते हैं।

5. स्पेशलाइज्ड स्किल्स का एक्सेस प्राप्त करें 

आउटसोर्सिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको विभिन्न प्रकार की स्पेशलाइज्ड स्किल्स तक एक्सेस मिलती है। उदाहरण के लिए, एक अच्छा SEO एक्सपर्ट, एक प्रोफेशनल वेब डिज़ाइनर, और एक सोशल मीडिया मैनेजर सभी को हायर करके आप अपनी वेबसाइट को विभिन्न पहलुओं में मजबूत कर सकते हैं। इससे न केवल आपका वर्कलोड कम होता है, बल्कि आपके प्रोजेक्ट्स की क्वालिटी और एफिशिएंसी में भी सुधार होता है।

6. आउटसोर्सिंग के प्रकार

आउटसोर्सिंग के कई प्रकार होते हैं, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण प्रकार इस प्रकार हैं:

  • फ्रीलांसर्स हायर करना: आप फ्रीलांस मार्केटप्लेस जैसे Upwork, Fiverr, और Freelancer से प्रोफेशनल्स हायर कर सकते हैं। ये फ्रीलांसर्स खासतौर पर किसी एक क्षेत्र में माहिर होते हैं, जैसे कि कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक्स डिज़ाइन, या SEO।
  • एजेंसीज से काम लेना: अगर आप एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो एजेंसीज से काम लेना एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। एजेंसीज में एक साथ कई प्रोफेशनल्स काम करते हैं जो आपके काम को समय पर और क्वालिटी के साथ पूरा कर सकते हैं।
  • वर्चुअल असिस्टेंट हायर करना: वर्चुअल असिस्टेंट (VA) उन टास्क्स को संभाल सकते हैं जो ज्यादा टेक्निकल नहीं होते, जैसे कि ईमेल मैनेजमेंट, डेटा एंट्री, सोशल मीडिया पोस्टिंग इत्यादि। इससे आपका वर्कलोड कम होता है और आप अपने महत्वपूर्ण टास्क्स पर फोकस कर पाते हैं।

7. कौन से टास्कस को आउटसोर्स करना चाहिए?

हर टास्क को आउटसोर्स करना जरूरी नहीं होता। लेकिन कुछ टास्कस ऐसे होते हैं जिन्हें आउटसोर्स करने से आपके एफिलिएट बिजनेस में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं:

  • कंटेंट राइटिंग और ब्लॉग पोस्ट: रेगुलर कंटेंट अपडेट्स एफिलिएट मार्केटिंग की सफलता के लिए जरूरी होते हैं। एक अच्छा राइटर हायर करने से आपका कंटेंट आकर्षक और SEO-फ्रेंडली बनेगा।
  • SEO और कीवर्ड रिसर्च: SEO एक बेहद टेक्निकल काम है और इसके लिए विशेषज्ञता की जरूरत होती है। SEO एक्सपर्ट्स आपके एफिलिएट वेबसाइट की रैंकिंग सुधारने में मदद कर सकते हैं।
  • सोशल मीडिया मैनेजमेंट: सोशल मीडिया प्रमोशन समय और एफर्ट लेने वाला काम है। इसे आउटसोर्स करके आप अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को एक्टिव और एंगेजिंग बना सकते हैं।
  • वेबसाइट मेंटेनेंस और टेक्निकल सपोर्ट: अगर आपकी वेबसाइट में किसी प्रकार की टेक्निकल इश्यूज आती हैं, तो इसके लिए एक डेवलपर को हायर करना सबसे बेहतर ऑप्शन होगा। वेबसाइट मेंटेनेंस का काम आउटसोर्स करके आप अपने कंटेंट और मार्केटिंग पर ध्यान दे सकते हैं।

8. आउटसोर्सिंग के फाइनेंशियल फायदे जानें 

एफिलिएट मार्केटिंग में टास्क्स को आउटसोर्स करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपके बिजनेस को लागत प्रभावी (cost-effective) बना सकता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि आउटसोर्सिंग महंगा सौदा है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए, तो यह आपकी लागत को कम कर सकता है और प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा सकता है। आइए, इस बात को थोड़ा और गहराई से समझते हैं:

  • वेतन और बेनिफिट्स की बचत: जब आप एक फुल-टाइम कर्मचारी को हायर करते हैं, तो आपको सैलरी के साथ-साथ अन्य बेनिफिट्स जैसे हेल्थ इंश्योरेंस, पेंशन, छुट्टी आदि का खर्च उठाना पड़ता है। दूसरी तरफ, आउटसोर्सिंग में आप केवल उन टास्क्स के लिए भुगतान करते हैं जो किए जाते हैं, बिना किसी अतिरिक्त बेनिफिट्स की चिंता किए।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च: अगर आप अपने टास्क्स आउटसोर्स करते हैं, तो आपको ऑफिस स्पेस, कंप्यूटर, सॉफ़्टवेयर लाइसेंस और अन्य संसाधनों पर खर्च नहीं करना पड़ता। फ्रीलांसर और एजेंसीज़ पहले से ही अपने पास ये संसाधन रखते हैं, जिससे आपको केवल काम के लिए भुगतान करना होता है।
  • क्विक टर्नअराउंड टाइम: जब आप आउटसोर्सिंग करते हैं, तो आपको विशेषज्ञता वाले प्रोफेशनल्स से काम मिलता है। इन लोगों को अपने काम में महारत होती है, जिससे टास्क जल्दी और सही तरीके से पूरा होता है। इससे आपके समय और पैसे दोनों की बचत होती है।

9. सही आउटसोर्सिंग पार्टनर का चयन करें 

आउटसोर्सिंग के सफल होने का एक बड़ा हिस्सा यह है कि आप सही पार्टनर का चयन करें। यदि आपने सही व्यक्ति या एजेंसी को हायर नहीं किया, तो इससे आपकी मेहनत और पैसा दोनों बर्बाद हो सकते हैं। सही आउटसोर्सिंग पार्टनर चुनने के कुछ टिप्स:

  • उनका पोर्टफोलियो चेक करें: जब आप किसी फ्रीलांसर या एजेंसी को हायर करते हैं, तो उनका पोर्टफोलियो जरूर चेक करें। इससे आपको उनके पिछले काम और क्वालिटी का अंदाजा लगेगा। यह भी देखें कि उन्होंने पहले भी आपके जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया है या नहीं।
  • रिव्यू और फीडबैक पढ़ें: फ्रीलांस प्लेटफ़ॉर्म्स पर आप हर फ्रीलांसर का रिव्यू और फीडबैक देख सकते हैं। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि दूसरे क्लाइंट्स का उनके साथ अनुभव कैसा रहा है। इससे आप उन फ्रीलांसर को हायर करने में कॉन्फिडेंस महसूस करेंगे जिनके पास अच्छे फीडबैक्स हैं।
  • ट्रायल प्रोजेक्ट्स: अगर आप किसी नए फ्रीलांसर या एजेंसी के साथ काम शुरू कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहले एक छोटा ट्रायल प्रोजेक्ट दें। इससे आपको उनके काम की क्वालिटी और उनकी कार्यशैली का अंदाजा लग जाएगा। अगर वे ट्रायल में अच्छा परफॉर्म करते हैं, तो आप आगे बड़े प्रोजेक्ट्स दे सकते हैं।

10. कम्युनिकेशन और ट्रांसपेरेंसी लाएं 

जब आप आउटसोर्सिंग कर रहे होते हैं, तो सही कम्युनिकेशन और ट्रांसपेरेंसी बेहद जरूरी होती है। अगर आपके और आपके आउटसोर्सिंग पार्टनर के बीच कम्युनिकेशन ठीक नहीं है, तो इससे कंफ्यूजन और मिसमैनेजमेंट हो सकता है। कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखें:

  • क्लियर इंस्ट्रक्शंस दें: आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अपने आउटसोर्स पार्टनर को स्पष्ट और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शंस दे रहे हैं। अगर आपके इंस्ट्रक्शंस अस्पष्ट होते हैं, तो परिणाम भी वैसा ही होगा। इसलिए, चाहे वह कंटेंट लिखने का काम हो, या SEO सेटअप का, हमेशा स्पष्ट दिशानिर्देश दें।
  • रेगुलर अपडेट्स मांगें: यह सुनिश्चित करें कि आपके आउटसोर्सिंग पार्टनर से आपको समय-समय पर अपडेट्स मिल रहे हैं। इससे आपको उनके काम की प्रगति का अंदाजा लगेगा और अगर कहीं कुछ सुधार की जरूरत होगी, तो आप तुरंत उसे ठीक कर सकते हैं।
  • रिपोर्टिंग सिस्टम: खासकर अगर आप किसी एजेंसी से काम करवा रहे हैं, तो उनके साथ एक मजबूत रिपोर्टिंग सिस्टम स्थापित करें। यह एनालिटिक्स रिपोर्ट्स, कंटेंट डिलीवरी शेड्यूल, या SEO प्रोग्रेस से जुड़ा हो सकता है। इससे आपको पता चलेगा कि आपके आउटसोर्स किए गए टास्क्स कैसे परफॉर्म कर रहे हैं।

11. आउटसोर्सिंग की चुनौतियाँ समझें 

हालांकि आउटसोर्सिंग के कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। इन्हें समझना और इनसे निपटना जरूरी है ताकि आपके एफिलिएट मार्केटिंग बिजनेस को नुकसान न हो।

  • क्वालिटी कंट्रोल: अगर आप पूरी तरह से किसी अन्य व्यक्ति या एजेंसी पर निर्भर होते हैं, तो क्वालिटी कंट्रोल एक बड़ी चिंता बन सकता है। यह जरूरी है कि आप अपने आउटसोर्स किए गए काम की क्वालिटी को रेगुलर चेक करते रहें।
  • टाइम जोन डिफरेंस: अगर आप किसी अंतरराष्ट्रीय फ्रीलांसर को हायर कर रहे हैं, तो समय के अंतराल (टाइम जोन डिफरेंस) से कम्युनिकेशन में दिक्कतें आ सकती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए, काम शुरू करने से पहले एक क्लियर टाइम शेड्यूल बनाएं।
  • भरोसा और विश्वास: कभी-कभी आप अपने आउटसोर्स पार्टनर पर 100% भरोसा नहीं कर सकते। इस स्थिति में आप ट्रस्ट-बिल्डिंग प्रोसेस को धीरे-धीरे अपनाएं। पहले छोटे प्रोजेक्ट्स दें और जब आप उनके काम से संतुष्ट हों, तब बड़े टास्क्स आउटसोर्स करें।

12. आउटसोर्सिंग के आउटकम्स को मापना सीखें 

आउटसोर्सिंग की सफलता को मापने के लिए आपको कुछ मुख्य आउटकम्स पर नजर रखनी चाहिए। इससे आप यह समझ पाएंगे कि क्या आपका आउटसोर्सिंग प्रयास सफल हो रहा है या नहीं:

  • रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI): यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। आपको यह देखना चाहिए कि आपने जितना पैसा आउटसोर्सिंग पर खर्च किया है, क्या उससे अधिक लाभ कमा रहे हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपने कंटेंट राइटिंग आउटसोर्स की है, तो क्या आपकी वेबसाइट की ट्रैफिक बढ़ी है? क्या इससे अधिक एफिलिएट कमिशन मिल रहा है?
  • काम की स्पीड: क्या आपका आउटसोर्सिंग पार्टनर आपके टास्क्स को समय पर पूरा कर रहा है? अगर काम समय पर पूरा नहीं हो रहा है, तो यह आपके पूरे एफिलिएट मार्केटिंग प्रोजेक्ट को धीमा कर सकता है।
  • क्वालिटी: क्वालिटी का मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है। चाहे वह कंटेंट हो, डिज़ाइन हो या SEO हो, अगर काम की क्वालिटी अच्छी नहीं है, तो आउटसोर्सिंग का फायदा नहीं होगा। नियमित रूप से काम की क्वालिटी का मूल्यांकन करें।
  • सिस्टम्स की एफिशिएंसी: क्या आपके बिजनेस प्रोसेस अधिक एफिशिएंट हो गए हैं? क्या आप अब अपने कोर टास्क्स पर ज्यादा ध्यान दे पा रहे हैं? अगर आउटसोर्सिंग से आपकी एफिशिएंसी बढ़ी है, तो यह एक सफल कदम है।

13. लंबे समय तक आउटसोर्सिंग का लाभ उठायें 

लंबे समय तक आउटसोर्सिंग करने के कई फायदे हैं। यह न केवल आपके बिजनेस को स्केलेबल बनाता है बल्कि आपको मार्केट के अन्य प्लेयर्स से आगे भी रखता है। आप उन सभी टास्क्स को आसानी से हैंडल कर पाते हैं जो आपके बिजनेस को अधिक समय और मेहनत मांगते हैं।

इसके अलावा, अगर आपने एक अच्छे आउटसोर्सिंग पार्टनर के साथ रिलेशनशिप बनाई है, तो आप उनसे लंबी अवधि तक फायदा उठा सकते हैं। जैसे-जैसे आपका एफिलिएट मार्केटिंग बिजनेस बढ़ता जाएगा, आपके आउटसोर्स पार्टनर आपके साथ उसी गति से चलते रहेंगे, जिससे आपको नए अवसर और चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

एफिलिएट मार्केटिंग में टास्क्स को आउटसोर्स करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो आपकी प्रोडक्टिविटी, एफिशिएंसी, और मुनाफे को बढ़ा सकता है। सही लोगों या एजेंसियों को हायर करने से आप अपने बिजनेस के हर पहलू को बेहतर बना सकते हैं। हालांकि इसमें चुनौतियाँ हैं, लेकिन सही प्लानिंग और एक्जीक्यूशन से यह आपके एफिलिएट मार्केटिंग बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

आउटसोर्सिंग न केवल आपको अपने महत्वपूर्ण टास्क्स पर ध्यान केंद्रित करने का समय देता है, बल्कि आपके बिजनेस को स्केलेबल और कॉस्ट-एफेक्टिव भी बनाता है।

Table of Contents

  1. एफिलिएट मार्केटिंग क्या है? में कैसे शुरू कर सकता हूँ? 
  2. एफिलिएट मार्केटिंग की हिस्ट्री और एवोलुशन 
  3. बेनिफिट्स एंड पोटेंशियल ऑफ़ एफिलिएट मार्केटिंग 
  4. एफिलिएट मार्केटिंग की प्लेयर्स 
  5. पेमेंट मॉडल्स इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  6. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - फिजिकल प्रोडक्ट्स 
  7. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - डिजिटल प्रोडक्ट्स 
  8. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - सर्विसेज 
  9. इम्पोर्टेंस ऑफ़ Niche सिलेक्शन इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  10. एफिलिएट मार्केटिंग के लिए प्रॉफिटेबल नीचेस (niches) कैसे चुने? 
  11. मार्केट रिसर्च - टूल्स एंड टेक्निक्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  12. मार्केट रिसर्च - एनलाइज़िंग कॉम्पिटिटर्स इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  13. सेटिंग अप योर प्लेटफार्म - ब्लॉगस, वेबसाइटस एंड सोशल मीडिया चैनल्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  14. सेटिंग अप योर प्लेटफार्म - डोमेन एंड होस्टिंग एसेंशियल फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  15. पॉपुलर एफिलिएट नेटवर्क्स - अमेज़न एसोसिएट, शेयर ए सेल, क्लिक बैंक 
  16. एफिलिएट प्रोग्राम्स में कमीशन रेट क्या है? 
  17. एफिलिएट मार्केटिंग में कुकी डूरेशन क्यों महत्वपूर्ण है? 
  18. सपोर्ट एंड रिसोर्सेज फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  19. टाइप्स ऑफ़ कंटेंट- ब्लोग्स, वीडियोस एंड पोडकास्टस फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  20. कंटेंट स्ट्रेटेजी फॉर डिफरेंट प्लेटफॉर्म्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  21. कीवर्ड रिसर्च फॉर एफिलिएट मार्केटिंग - बेसिक एसईओ 
  22. ऑन पेज एंड ऑफ पेज एसईओ फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  23. कंटेंट मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज - ब्लॉगिंग, व्लॉगिंग, सोशल मीडिया 
  24. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - ईमेल मार्केटिंग 
  25. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - सोशल मीडिया मार्केटिंग 
  26. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - पेड एडवरटाइजिंग 
  27. बिल्डिंग ऑडियंस - एंगेजिंग विथ योर ऑडियंस - एफिलिएट मार्केटिंग 
  28. बिल्डिंग ऑडियंस - ट्रस्ट एंड क्रेडिबिलिटी - एफिलिएट मार्केटिंग 
  29. ट्रैकिंग परफॉरमेंस इन एफिलिएट मार्केटिंग - सीटीआर, कन्वर्शन रेट, आरओआई 
  30. एफिलिएट मार्केटिंग में परफॉरमेंस ट्रैकिंग और एनालिसिस के लिए टूल्स 
  31. ए/बी टेस्टिंग से एफिलिएट मार्केटिंग कैंपेन को ऑप्टिमाइज़ करना 
  32. एफिलिएट मार्केटिंग में कन्वर्शन रेट सुधारने के तरीके 
  33. एफिलिएट प्रोग्राम पॉलिसीज़ का पालन करना 
  34. एफ टी सी गाइडलाइन्स एंड डिस्क्लोज़रस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  35. बिल्डिंग ट्रांसपेरेंसी एंड ट्रस्ट इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  36. ऑटोमेटिंग प्रोसेसेस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  37. आउट सोर्सिंग टास्कस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  38. इनक्रीज योर एफिलिएट इनकम बाय जोइनिंग मल्टीप्ल एफिलिएट प्रोग्राम्स 
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