परफॉरमेंस को कैसे ट्रैक करें - एफिलिएट मार्केटिंग

ट्रैकिंग परफॉरमेंस इन एफिलिएट मार्केटिंग - सीटीआर, कन्वर्शन रेट, आरओआई

एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) एक पावरफुल स्ट्रेटेजी है जिससे आप प्रोडक्ट्स या सर्विसेज को प्रमोट करके कमाई कर सकते हैं। लेकिन, इस प्रोसेस में परफॉरमेंस को ट्रैक करना बेहद ज़रूरी होता है ताकि आपको पता चले कि आपकी मार्केटिंग एफर्ट्स कितनी इफेक्टिव हैं। परफॉरमेंस ट्रैक करने से आप देख सकते हैं कि कौन से एफिलिएट्स, चैनल्स, या कंटेंट सबसे ज़्यादा रिजल्ट्स दे रहे हैं और कौन से एरिया में इम्प्रूवमेंट की ज़रूरत है।

इस ब्लॉग में, हम डिस्कस करेंगे कैसे आप एफिलिएट मार्केटिंग में परफॉरमेंस को सही तरीके से ट्रैक कर सकते हैं, कौन से मेजरमेंट टूल्स और टेक्निक्स का यूज़ करना चाहिए, और कैसे आप इस डाटा को एनालाइज़ करके अपनी स्ट्रेटेजी को इंप्रूव कर सकते हैं।

1. परफॉरमेंस ट्रैकिंग क्यों ज़रूरी है? समझें 

एफिलिएट मार्केटिंग में सक्सेस अचीव करने के लिए परफॉरमेंस को ट्रैक करना क्रिटिकल है। इसके कई फायदे हैं:

  • इफेक्टिवनेस को मेज़र करना: आप देख सकते हैं कि कौन से एफिलिएट्स या चैनल्स से आपको सबसे ज़्यादा सेल्स, क्लिक्स, और लीड्स मिल रही हैं।
  • इन्वेस्टमेंट की रिटर्न (ROI) समझना: परफॉरमेंस ट्रैकिंग आपको बताती है कि आपके मार्केटिंग एफर्ट्स के बदले में आपको कितना प्रॉफिट मिल रहा है।
  • कंपिटीशन से आगे रहना: जब आप परफॉरमेंस को ट्रैक करते हैं, तो आप मार्केट ट्रेंड्स को जल्दी पहचान सकते हैं और अपने स्ट्रेटेजी को एडजस्ट कर सकते हैं।

2. कौन से परफॉरमेंस इंडिकेटर्स ट्रैक करने चाहिए? जानें 

परफॉरमेंस ट्रैकिंग के लिए कुछ महत्वपूर्ण KPIs होते हैं जिनको आपको हमेशा मॉनिटर करना चाहिए:

a. क्लिक-थ्रू रेट (CTR)

यह बताता है कि कितने लोगों ने आपकी एफिलिएट लिंक पर क्लिक किया। CTR को कैलकुलेट करने के लिए, आपको कुल इम्प्रेशन्स और क्लिक्स को ट्रैक करना होगा। हाई CTR इस बात का संकेत होता है कि आपका कंटेंट या लिंक बहुत अट्रैक्टिव है।

b. कनवर्ज़न रेट

कनवर्ज़न रेट बताता है कि कितने लोग, जो आपकी एफिलिएट लिंक पर क्लिक करते हैं, एक्चुअल सेल्स या लीड्स में कन्वर्ट होते हैं। यह KPI आपकी ऑडियंस के बिहेवियर और आपकी एफिलिएट स्ट्रेटेजी की इफेक्टिवनेस को रिफ्लेक्ट करता है।

c. अवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV)

यह बताता है कि औसतन एक कस्टमर कितना पैसा खर्च कर रहा है जब वह आपकी एफिलिएट लिंक से कोई प्रोडक्ट खरीदता है। हाई AOV का मतलब है कि आप हाई-क्वालिटी ट्रैफिक जेनरेट कर रहे हैं।

d. कमिशन

आपको यह भी देखना चाहिए कि आप प्रति एफिलिएट कितनी कमाई कर रहे हैं। यह आपके ओवरऑल परफॉरमेंस का सीधा इंडिकेटर है।

e. रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI)

यह सबसे क्रिटिकल KPI है, क्योंकि यह बताता है कि आप जितना पैसा और टाइम इन्वेस्ट कर रहे हैं, उसके बदले में आपको कितना प्रॉफिट मिल रहा है।

3. टूल्स को एफिलिएट परफॉरमेंस ट्रैकिंग में यूज़ करें 

कई टूल्स और सॉफ्टवेयर मार्केट में अवेलेबल हैं जो एफिलिएट मार्केटिंग परफॉरमेंस को ट्रैक करने में आपकी हेल्प कर सकते हैं। यहाँ कुछ पॉपुलर टूल्स का ज़िक्र किया गया है:

a. Google Analytics

गूगल एनालिटिक्स एक पावरफुल टूल है जो आपको ट्रैफिक सोर्सेज, यूजर बिहेवियर, और कनवर्ज़न ट्रैकिंग में हेल्प करता है। आप इसे एफिलिएट लिंक्स के साथ इंटीग्रेट कर सकते हैं ताकि आप देख सकें कि आपकी एफिलिएट्स कहां से ट्रैफिक ला रहे हैं और कौन से पेज सबसे ज़्यादा कन्वर्ट कर रहे हैं।

b. Affiliate Networks' Built-in Tracking

कई एफिलिएट नेटवर्क्स जैसे कि Amazon Associates, ShareASale, और Commission Junction पहले से ही बिल्ट-इन ट्रैकिंग टूल्स प्रोवाइड करते हैं। ये आपको क्लिक्स, कनवर्ज़न, और कमिशन की जानकारी देते हैं। आपको इनका सही से यूज़ करके अपने परफॉरमेंस का एनालिसिस करना चाहिए।

c. UTM Parameters

UTM पैरामीटर्स छोटे कोड्स होते हैं जिन्हें आप अपने एफिलिएट लिंक्स में ऐड कर सकते हैं ताकि आप जान सकें कि किस सोर्स, मीडियम या कैंपेन से ट्रैफिक आ रहा है। उदाहरण के लिए, आप UTM पैरामीटर्स का यूज़ करके देख सकते हैं कि फेसबुक, गूगल, या ईमेल मार्केटिंग से कौन सा चैनल सबसे ज़्यादा कनवर्ज़न दे रहा है।

d. Third-party Tracking Tools

अगर आप मल्टीपल एफिलिएट नेटवर्क्स के साथ काम कर रहे हैं, तो थर्ड-पार्टी ट्रैकिंग टूल्स जैसे कि Voluum, ClickMeter, और Post Affiliate Pro का यूज़ कर सकते हैं। ये टूल्स सभी डेटा को एक ही प्लेटफॉर्म पर लेकर आते हैं और डिटेल्ड एनालिसिस प्रोवाइड करते हैं।

4. परफॉरमेंस डेटा को कैसे एनालाइज़ करें? सीखें 

परफॉरमेंस डेटा सिर्फ कलेक्ट करना काफी नहीं है, आपको इसे सही तरीके से एनालाइज़ भी करना होगा ताकि आप इंफॉर्म्ड डिसीज़न ले सकें। यहाँ कुछ तरीके हैं जिससे आप अपने डेटा को एनालाइज़ कर सकते हैं:

a. ट्रेंड्स को आइडेंटिफाई करें

परफॉरमेंस डेटा में ट्रेंड्स को आइडेंटिफाई करना बेहद ज़रूरी है। इससे आपको पता चलता है कि आपकी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कैसे वर्क कर रही है। उदाहरण के लिए, अगर आप देखते हैं कि एक पर्टिकुलर एफिलिएट लिंक से लगातार ज़्यादा सेल्स आ रही हैं, तो आप उस लिंक को और प्रमोट कर सकते हैं।

b. विच चैनल्स आर मोस्ट प्रॉफिटेबल?

आपको अपने एफिलिएट्स और मार्केटिंग चैनल्स को एनालाइज़ करना चाहिए ताकि आप देख सकें कि कौन से चैनल्स सबसे ज़्यादा प्रॉफिट दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका सोशल मीडिया चैनल्स से आने वाला ट्रैफिक ज्यादा कन्वर्ट हो रहा है, तो आपको उसमें ज्यादा इन्वेस्ट करना चाहिए।

c. लॉस-मेकिंग एफिलिएट्स को आइडेंटिफाई करें

अगर कुछ एफिलिएट्स या मार्केटिंग चैनल्स आपको अच्छा परफॉरमेंस नहीं दे रहे हैं, तो उन्हें या तो ऑप्टिमाइज़ करें या बंद कर दें। इस तरह आप अपना टाइम और मनी उन एरिया में फोकस कर सकते हैं जो आपको रिटर्न्स दे रहे हैं।

d. A/B Testing

A/B टेस्टिंग एक पावरफुल मेथड है जिससे आप देख सकते हैं कि कौन सा एफिलिएट लिंक, बैनर, या कंटेंट ज्यादा इफेक्टिव है। आप दो अलग-अलग वर्शन टेस्ट कर सकते हैं और देख सकते हैं कि कौन सा ज्यादा कन्वर्जन दे रहा है।

5. परफॉरमेंस को इंप्रूव करने के लिए स्ट्रेटेजीज अपनाएं 

एफिलिएट मार्केटिंग में परफॉरमेंस को लगातार मॉनिटर और ऑप्टिमाइज़ करने से आपकी सक्सेस का चांस बढ़ जाता है। यहां कुछ स्ट्रेटेजीज़ दी गई हैं जो आपकी परफॉरमेंस को इंप्रूव करने में हेल्प करेंगी:

a. कंटेंट ऑप्टिमाइज़ेशन

आपका कंटेंट आपकी एफिलिएट मार्केटिंग की सक्सेस में एक इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है। इसलिए, यह ज़रूरी है कि आप अपने कंटेंट को रेगुलरली अपडेट और ऑप्टिमाइज़ करें।

  • फोकस ऑन वैल्यू: आपका कंटेंट सिर्फ प्रमोशनल नहीं होना चाहिए, बल्कि ऑडियंस को वैल्यू प्रोवाइड करने वाला होना चाहिए। ऐसा कंटेंट ज्यादा ट्रस्ट बनाता है और कस्टमर को कन्वर्ट करता है।
  • SEO ऑप्टिमाइज़ेशन: आप अपने कंटेंट को सर्च इंजन फ्रेंडली बना सकते हैं ताकि आपकी पोस्ट्स गूगल या अन्य सर्च इंजन्स में रैंक कर सकें। इससे आपके एफिलिएट लिंक्स पर ज्यादा ट्रैफिक आएगा।

b. लिंक प्लेसमेंट और डिजाइन

आपके एफिलिएट लिंक्स को सही जगह प्लेस करना भी इंपॉर्टेंट है।

  • नैचुरल प्लेसमेंट: आपकी लिंक्स को ऐसे प्लेस करें कि वे कंटेंट के फ्लो के साथ नैचुरल लगें। ओवर-प्लेसींग करने से यूजर्स इरिटेट हो सकते हैं।
  • कॉल टू एक्शन (CTA): एक इफेक्टिव CTA बनाना ज़रूरी है जो यूजर्स को क्लियरली बताए कि उन्हें क्या करना है। इसे स्ट्रेटेजिक जगहों पर प्लेस करें जैसे ब्लॉग पोस्ट के एंड में या बटन के रूप में।

c. ट्रैफिक सोर्सेस का डायवर्सिफिकेशन

आपको सिर्फ एक ट्रैफिक सोर्स पर डिपेंड नहीं होना चाहिए। मल्टीपल ट्रैफिक सोर्सेस का यूज करना आपको अलग-अलग ऑडियंस तक पहुंचने में हेल्प करता है।

  • ऑर्गैनिक सर्च: गूगल सर्च के जरिए फ्री में ट्रैफिक पाने के लिए आपको अपने कंटेंट को SEO फ्रेंडली बनाना होगा।
  • पेड एड्स: अगर आप जल्दी रिजल्ट्स पाना चाहते हैं, तो पेड एड्स (जैसे कि गूगल या फेसबुक एड्स) का यूज कर सकते हैं। लेकिन, इसे मॉनिटर करना ज़रूरी है ताकि आप यह देखें कि आपकी एड्स से अच्छा ROI मिल रहा है या नहीं।
  • सोशल मीडिया मार्केटिंग: सोशल मीडिया भी एफिलिएट मार्केटिंग के लिए एक पावरफुल टूल है। यहां से भी आप अच्छा ट्रैफिक और कन्वर्ज़न जेनरेट कर सकते हैं। आप इंस्टाग्राम, फेसबुक, लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोशन कर सकते हैं।

d. एफिलिएट नेटवर्क्स का ऑप्टिमाइज़ेशन

अगर आप मल्टीपल एफिलिएट नेटवर्क्स के साथ काम कर रहे हैं, तो यह ज़रूरी है कि आप देख सकें कि कौन सा नेटवर्क आपको बेस्ट रिजल्ट्स दे रहा है।

  • कंपीटिशन का यूज करें: आप देख सकते हैं कि आपके कंपीटीटर्स किस नेटवर्क के साथ काम कर रहे हैं और उनसे सीख सकते हैं कि कौन सा नेटवर्क उनके लिए वर्क कर रहा है।
  • नेटवर्क्स की ऑफर्स को एनालाइज़ करें: अलग-अलग नेटवर्क्स पर अलग-अलग ऑफर्स होते हैं। आपको यह देखना चाहिए कि कौन सा ऑफर आपके ऑडियंस के लिए सबसे बेस्ट है और उसे प्रमोट करें।

6. एफिलिएट लिंक मैनेजमेंट सीखें 

एफिलिएट मार्केटिंग में एक इंपॉर्टेंट टास्क है अपने एफिलिएट लिंक्स को सही तरीके से मैनेज करना। अगर आप अपने लिंक्स को सही से ट्रैक और मैनेज नहीं करेंगे, तो आपकी परफॉरमेंस पर नेगेटिव इम्पैक्ट हो सकता है।

a. लिंक क्लोकिंग

लिंक क्लोकिंग एक मेथड है जिसमें आप अपने एफिलिएट लिंक्स को शॉर्ट और प्रोफेशनल बना सकते हैं। इससे आपके लिंक्स ज्यादा क्लीन और ट्रस्टवर्दी लगते हैं।

Bitly या Pretty Links जैसे टूल्स का यूज करें: आप इन टूल्स का यूज करके अपने लिंक्स को शॉर्ट और ट्रैक कर सकते हैं।

b. लिंक मॉनिटरिंग

आपको रेगुलरली अपने एफिलिएट लिंक्स को मॉनिटर करना चाहिए ताकि यह देख सकें कि कौन से लिंक्स वर्क कर रहे हैं और कौन से नहीं।

डेड लिंक्स को चेक करें: कभी-कभी एफिलिएट प्रोडक्ट्स आउट ऑफ स्टॉक हो जाते हैं या प्रोग्राम बंद हो जाते हैं, इसलिए आपको रेगुलरली अपने लिंक्स को चेक करना चाहिए ताकि कोई डेड लिंक न हो।

c. लिंक रोटेशन

अगर आप मल्टीपल एफिलिएट प्रोग्राम्स प्रमोट कर रहे हैं, तो आप लिंक रोटेशन का यूज कर सकते हैं। यह आपको एक ही कंटेंट में कई एफिलिएट्स को प्रमोट करने का मौका देता है और आपकी कमाई के चांसेस को बढ़ाता है।

7. कन्वर्ज़न ऑप्टिमाइज़ेशन करें 

कन्वर्ज़न ऑप्टिमाइज़ेशन का मतलब है कि आप अपने एफिलिएट लिंक्स से ज्यादा से ज्यादा सेल्स और लीड्स जेनरेट करें। इसके लिए आपको कई टेक्निक्स और स्ट्रेटेजीज़ का यूज करना होगा।

a. यूजर एक्सपीरियंस (UX) इंप्रूवमेंट

आपकी वेबसाइट या ब्लॉग का डिज़ाइन और यूजर एक्सपीरियंस बहुत मायने रखता है। अगर आपकी साइट यूजर-फ्रेंडली नहीं है, तो लोग वहां ज्यादा टाइम नहीं बिताएंगे और आपके एफिलिएट लिंक्स पर क्लिक करने का चांस भी कम हो जाएगा।

  • फास्ट लोडिंग टाइम: आपकी वेबसाइट का लोडिंग टाइम फास्ट होना चाहिए ताकि यूजर्स को वेट न करना पड़े। एक स्लो वेबसाइट कस्टमर को फ्रस्ट्रेट कर सकती है और वह जल्दी साइट छोड़ सकते हैं।
  • मोबाइल ऑप्टिमाइज़ेशन: आपकी साइट मोबाइल-फ्रेंडली होनी चाहिए क्योंकि आजकल ज्यादातर लोग मोबाइल से ब्राउज़ करते हैं। अगर आपकी साइट मोबाइल पर ठीक से काम नहीं करती, तो आप बहुत से कस्टमर्स खो सकते हैं।

b. क्लियर कॉल टू एक्शन (CTA)

एक स्ट्रॉन्ग और क्लियर CTA आपको ज्यादा कन्वर्ज़न दिला सकता है।

  • सिंपल और डायरेक्ट CTA: आपका CTA सिंपल और डायरेक्ट होना चाहिए। उदाहरण के लिए, "Buy Now", "Learn More", या "Get the Best Deal" जैसे CTA यूजर्स को एक्शन लेने के लिए मोटिवेट करते हैं।
  • एंगेजिंग डिज़ाइन: आपके CTA बटन का डिज़ाइन भी अट्रैक्टिव होना चाहिए। ब्राइट कलर्स और प्रॉमिनेंट प्लेसमेंट से आप यूजर्स का ध्यान खींच सकते हैं।

c. A/B टेस्टिंग

A/B टेस्टिंग से आप अपने एफिलिएट लिंक्स, बटन, और CTA का अलग-अलग वर्शन टेस्ट करके देख सकते हैं कि कौन सा ज्यादा इफेक्टिव है।

  • टेस्ट डिफरेंट कॉलर्स और टेक्स्ट: आप बटन के कलर्स और टेक्स्ट को चेंज करके देख सकते हैं कि कौन सी चीज ज्यादा क्लिक्स और कन्वर्ज़न जेनरेट कर रही है।
  • लैंडिंग पेज टेस्टिंग: आप अपने लैंडिंग पेज को भी टेस्ट कर सकते हैं। डिफरेंट हेडलाइन्स, इमेजेस, और कंटेंट का यूज करके आप देख सकते हैं कि कौन सा पेज सबसे अच्छा रिजल्ट दे रहा है।

d. रेगुलर अपडेट्स

एफिलिएट मार्केटिंग में चीजें तेजी से बदलती हैं। इसलिए, आपको अपने एफिलिएट लिंक्स, कंटेंट, और स्ट्रेटेजीज़ को रेगुलरली अपडेट करना चाहिए।

  • मार्केट ट्रेंड्स के साथ बने रहें: नए प्रोडक्ट्स, सर्विसेज़, और टूल्स को प्रमोट करने के लिए आपको मार्केट ट्रेंड्स को फॉलो करना चाहिए।
  • नए एफिलिएट प्रोग्राम्स जॉइन करें: अगर आपको किसी पुराने एफिलिएट प्रोग्राम से अच्छे रिजल्ट्स नहीं मिल रहे, तो नए एफिलिएट प्रोग्राम्स को जॉइन करें और उन्हें टेस्ट करें।

8. परफॉरमेंस रिपोर्ट्स और एनालिसिस करें 

आपको रेगुलरली परफॉरमेंस रिपोर्ट्स जेनेरेट करनी चाहिए ताकि आप देख सकें कि आपकी एफिलिएट मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कैसे वर्क कर रही है।

  • वीकली या मंथली रिपोर्ट्स: आप वीकली या मंथली रिपोर्ट्स बना सकते हैं ताकि आपको क्लियर पिक्चर मिले कि किस तरह का ट्रैफिक और कन्वर्ज़न हो रहा है।
  • डेटा-बेस्ड डिसीज़न मेकिंग: आपके पास जितना ज्यादा डेटा होगा, उतना बेहतर आप डिसीज़न ले सकते हैं। एनालिसिस करने से आपको यह समझ में आएगा कि कौन सी स्ट्रेटेजीज़ काम कर रही हैं और कौन सी नहीं।

9. कस्टमर फीडबैक का यूज करें

फीडबैक (फीडबैक) एक पावरफुल टूल है। आप अपनी ऑडियंस या कस्टमर्स से डायरेक्ट फीडबैक ले सकते हैं कि वे क्या पसंद करते हैं और कहां इम्प्रूवमेंट की ज़रूरत है।

  • क्विज़ और सर्वेज़ का यूज करें: आप क्विज़ और सर्वेज़ कंडक्ट करके ऑडियंस से फीडबैक कलेक्ट कर सकते हैं। इससे आपको अपने एफिलिएट लिंक्स और कंटेंट को इंप्रूव करने का आइडिया मिलेगा।
  • कस्टमर रिव्यूज़: कस्टमर रिव्यूज़ को भी ध्यान से पढ़ें और समझें कि क्या चीजें उन्हें अट्रैक्ट कर रही हैं। इससे आप अपने कंटेंट और एफिलिएट लिंक्स को और बेहतर बना सकते हैं।

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Table of Contents

  1. एफिलिएट मार्केटिंग क्या है? में कैसे शुरू कर सकता हूँ? 
  2. एफिलिएट मार्केटिंग की हिस्ट्री और एवोलुशन 
  3. बेनिफिट्स एंड पोटेंशियल ऑफ़ एफिलिएट मार्केटिंग 
  4. एफिलिएट मार्केटिंग की प्लेयर्स 
  5. पेमेंट मॉडल्स इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  6. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - फिजिकल प्रोडक्ट्स 
  7. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - डिजिटल प्रोडक्ट्स 
  8. टाइप्स ऑफ़ एफिलिएट प्रोग्राम्स - सर्विसेज 
  9. इम्पोर्टेंस ऑफ़ Niche सिलेक्शन इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  10. एफिलिएट मार्केटिंग के लिए प्रॉफिटेबल नीचेस (niches) कैसे चुने? 
  11. मार्केट रिसर्च - टूल्स एंड टेक्निक्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  12. मार्केट रिसर्च - एनलाइज़िंग कॉम्पिटिटर्स इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  13. सेटिंग अप योर प्लेटफार्म - ब्लॉगस, वेबसाइटस एंड सोशल मीडिया चैनल्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  14. सेटिंग अप योर प्लेटफार्म - डोमेन एंड होस्टिंग एसेंशियल फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  15. पॉपुलर एफिलिएट नेटवर्क्स - अमेज़न एसोसिएट, शेयर ए सेल, क्लिक बैंक 
  16. एफिलिएट प्रोग्राम्स में कमीशन रेट क्या है? 
  17. एफिलिएट मार्केटिंग में कुकी डूरेशन क्यों महत्वपूर्ण है? 
  18. सपोर्ट एंड रिसोर्सेज फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  19. टाइप्स ऑफ़ कंटेंट- ब्लोग्स, वीडियोस एंड पोडकास्टस फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  20. कंटेंट स्ट्रेटेजी फॉर डिफरेंट प्लेटफॉर्म्स फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  21. कीवर्ड रिसर्च फॉर एफिलिएट मार्केटिंग - बेसिक एसईओ 
  22. ऑन पेज एंड ऑफ पेज एसईओ फॉर एफिलिएट मार्केटिंग 
  23. कंटेंट मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज - ब्लॉगिंग, व्लॉगिंग, सोशल मीडिया 
  24. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - ईमेल मार्केटिंग 
  25. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - सोशल मीडिया मार्केटिंग 
  26. एफिलिएट लिंक प्रमोशन - पेड एडवरटाइजिंग 
  27. बिल्डिंग ऑडियंस - एंगेजिंग विथ योर ऑडियंस - एफिलिएट मार्केटिंग 
  28. बिल्डिंग ऑडियंस - ट्रस्ट एंड क्रेडिबिलिटी - एफिलिएट मार्केटिंग 
  29. ट्रैकिंग परफॉरमेंस इन एफिलिएट मार्केटिंग - सीटीआर, कन्वर्शन रेट, आरओआई 
  30. एफिलिएट मार्केटिंग में परफॉरमेंस ट्रैकिंग और एनालिसिस के लिए टूल्स 
  31. ए/बी टेस्टिंग से एफिलिएट मार्केटिंग कैंपेन को ऑप्टिमाइज़ करना 
  32. एफिलिएट मार्केटिंग में कन्वर्शन रेट सुधारने के तरीके 
  33. एफिलिएट प्रोग्राम पॉलिसीज़ का पालन करना 
  34. एफ टी सी गाइडलाइन्स एंड डिस्क्लोज़रस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  35. बिल्डिंग ट्रांसपेरेंसी एंड ट्रस्ट इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  36. ऑटोमेटिंग प्रोसेसेस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  37. आउट सोर्सिंग टास्कस इन एफिलिएट मार्केटिंग 
  38. इनक्रीज योर एफिलिएट इनकम बाय जोइनिंग मल्टीप्ल एफिलिएट प्रोग्राम्स 
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