डीप फेक टेक्नोलॉजी क्या और कैसे? डीपफेक की शुरुआत कैसे हुई?

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नमस्कार 🙏दोस्तों, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग हिंदी ट्यूट पर। आधुनिक तकनीक की दुनिया में जिस तेजी से हम आगे बढ़ रहे हैं, उसमें से एक ऐसी तकनीक है जो अक्सर चर्चा में रहती है - डीपफेक तकनीक। 

1. डीप फेक टेक्नोलॉजी क्या है?

  • यह तकनीक किसी भी व्यक्ति के चेहरे को दूसरे के शरीर पर लगाकर उसके साथ किए गए वीडियो या फोटो को मिथ्या बना सकती है। जैसे कि किसी विदेशी फिल्म की डबिंग करने के लिए किसी नामी अभिनेता का चेहरा लगाना या किसी पॉर्नोग्राफिक संदर्भ में अज्ञात व्यक्ति के चेहरे को उपयोग करना।
  • डीपफेक तकनीक का उपयोग मनोरंजन उद्योग में विशेष प्रभावी रूप से देखा जाता है, जहां विशेष चित्रण के लिए इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह भी एक सीरियस मुद्दा बन गया है, क्योंकि यह दुरुपयोगी रूप से भी प्रयोग किया जा सकता है। फेक न्यूज़, राजनीतिक प्रभाव, या निजी जीवन की अवैध अतीत का उपयोग करके डीपफेक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
  • डीपफेक तकनीक की पहचान करना और इसके खिलाफ बचाव करना मुश्किल हो सकता है। यह तकनीक गहरी बुद्धिमत्ता के उपयोग से तैयार की जाती है और आमतौर पर साधारण नजर से उसको पहचानना कठिन हो सकता है।
  • इसी बीच, हमें इस तकनीक के प्रयोग से उत्पन्न खतरों का सामना करना होगा और साथ ही नए प्रवृत्तियों और कानूनी उपायों के बारे में विचार करना होगा। क्योंकि तकनीक का अध्ययन करने के साथ-साथ, हमें इसके नैतिक और सामाजिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा।
  • इसलिए, हमें अपने समय का उपयोग करके और साथ ही तकनीकी प्रगति के साथ सावधानी बरतकर डीपफेक तकनीक की चुनौतियों का सामना करना होगा। क्योंकि आखिरकार, हमारा जीवन और समाज इस तकनीक के प्रभावों से प्रभावित हो सकता है।
  • यह तकनीक मुख्य रूप से गलत उपयोग से आया है। विशेष रूप से, व्यक्तिगत संदर्भों में अज्ञात व्यक्ति के चेहरे का उपयोग करके किए गए विवादास्पद घटनाओं ने इस तकनीक को विशेष रूप से मशहूर किया है।
  • आमतौर पर, यह तकनीक गहरी बुद्धिमत्ता से प्रेरित है, जैसे कि जनरेटिव एडवर्सेरियल नेटवर्क्स (जीएएन्स) और ऑटोएनकोडर्स। जीएएन्स का उपयोग वास्तविक चेहरे के आधार पर व्यक्तिगत चित्रण के लिए किया जाता है, जबकि ऑटोएनकोडर्स आवाज या वीडियो को अनुकरण करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  • डीपफेक तकनीक के बारे में कुछ अनजाने तथ्यों को आपके सामने प्रस्तुत करते हैं:

2. डीपफेक तकनीक की शुरुआत: 

  • डीपफेक तकनीक की शुरुआत वास्तव में नवंबर 2017 में हुई थी। यह तकनीक एक Google एन्ड्रॉयड उपकरण के एप्लिकेशन के रूप में शुरू हुई थी, जो बिना किसी प्रोग्रामिंग के स्वयं वीडियो बनाने की सुविधा प्रदान करता था।

3. AI क्षमता: 

  • डीपफेक तकनीक ने AI क्षमता का उपयोग किया है जिसमें एक व्यक्ति के चेहरे को वेबसाइटों पर अश्लील वीडियो में डाला जाता है, ताकि वह लगता है कि वह वीडियो में नजर आ रहा है।

4. राजनीतिक दुरुपयोग: 

  • डीपफेक तकनीक का राजनीतिक दुरुपयोग भी होता है। इसे प्रयोग करके राजनेता अपने विरोधी पक्ष को बदनाम करने के लिए जालसाजी कर सकते हैं।

5. डीपफेक ऑटोमेटेड: 

  • एक तथ्य यह है कि अब डीपफेक तकनीक को स्वचालित किया जा सकता है, जिससे विभिन्न सामग्रियों को कम्पोज़ किया जा सकता है और वे विशेषज्ञता के बिना वीडियो बना सकते हैं।

6. मुक्ताधिकार उल्लंघन: 

  • डीपफेक तकनीक का प्रयोग मुक्ताधिकार के उल्लंघन के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी कलाकार की आवाज या व्यक्तित्व को गलत रूप से उपयोग किया जा सकता है।

ये कुछ अनजाने तथ्य हैं जो डीपफेक तकनीक के बारे में जानकारी को और अधिक गहराते हैं।

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