ब्लॉग ROI क्या है? ब्लॉग ROI को मापने के लिए मैट्रिक्स

ब्लॉग ROI क्या है? ब्लॉग ROI को मापने के लिए मैट्रिक्स

आरओआई का मतलब होता है Return On Investment, यानी की आपके द्वारा जो ब्लॉग में इन्वेस्टमेंट किया गया उसका कितना रिटर्न या फ़ायदा आपको मिला। 

आरओआई पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आप इन्वेस्ट अधिक करेंगे और अर्न कम करेंगे तो यह अच्छी रणनिति नहीं है। आइये इसके बारे में जानने का प्रयास करते है।  

ब्लॉग आरओआई क्या (ROI) है?

Definition: ब्लॉग आरओआई का मतलब है आपके ब्लॉग पर किए गए इन्वेस्टमेंट के मुकाबले मिलने वाली रिटर्न। इसका मतलब है कि आपने ब्लॉगिंग में कितना समय, पैसे और संसाधन लगाए हैं, और इसके बदले आपको कितनी लाभकारी वापसी मिल रही है।

Purpose: ब्लॉग आरओआई को मापना इसलिए ज़रूरी है ताकि आप समझ सकें कि आपके ब्लॉगिंग एफर्ट्स कितने प्रभावी हैं। इससे आप जान सकते हैं कि आपकी मेहनत और इन्वेस्टमेंट सही दिशा में जा रही है या नहीं। सही आरओआई की पहचान करने से आप अपने ब्लॉगिंग रणनीतियों को और भी बेहतर बना सकते हैं।

Investment Types: ब्लॉगिंग में इन्वेस्टमेंट कई प्रकार का हो सकता है:

  • समय (Time): ब्लॉग बनाने और उसे मेंटेन करने में लगने वाला समय।
  • पैसे (Money): होस्टिंग, डोमेन नाम, और कंटेंट क्रिएशन के लिए खर्च किए गए पैसे।
  • संसाधन (Resources): टूल्स, सॉफ़्टवेयर, और कर्मचारियों का खर्च जो ब्लॉगिंग के लिए आवश्यक होते हैं।

Revenue Sources: ब्लॉग से विभिन्न रेवेन्यू सोर्सेज़ हो सकते हैं:

  • एड्स (Ads): गूगल ऐडसेंस या अन्य ऐड नेटवर्क्स के जरिए।
  • अफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing): प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ की प्रमोशन करके कमीशन अर्जित करना।
  • स्पॉन्सरशिप्स (Sponsorships): ब्रांड्स या कंपनियों द्वारा प्रायोजित कंटेंट।
  • प्रोडक्ट सेल्स (Product Sales): खुद के प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ बेचना।

Cost Analysis: ब्लॉग आरओआई कैलकुलेट करने के लिए खर्चों की सही पहचान करना ज़रूरी है:

  • होस्टिंग (Hosting): वेबसाइट को ऑनलाइन रखने के लिए खर्च।
  • डोमेन (Domain): वेबसाइट का नाम रजिस्टर करने का खर्च।
  • कंटेंट क्रिएशन (Content Creation): लेखन, डिजाइनिंग, और अन्य कंटेंट बनाने में लगने वाला खर्च।
  • प्रमोशन (Promotion): सोशल मीडिया, विज्ञापन, और अन्य प्रमोशनल गतिविधियों में खर्च।

इन पॉइंट्स को ध्यान में रखकर, आप अपने ब्लॉग के आरओआई को सही ढंग से माप सकते हैं और उसे बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं।

ब्लॉग ROI कैलकुलेट करने के लिए मैट्रिक्स 

Traffic Volume:

ट्रैफिक वॉल्यूम का मतलब है आपके ब्लॉग पर आने वाले कुल विजिटर्स की संख्या। यह एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जो दर्शाता है कि आपका ब्लॉग कितने लोगों तक पहुंच रहा है। जितना ज्यादा ट्रैफिक, उतनी ही ज्यादा संभावनाएं हैं कि आपके ब्लॉग की रेवेन्यू और पॉपुलैरिटी बढ़ेगी। इसके लिए आपको SEO, सोशल मीडिया प्रमोशन, और क्वालिटी कंटेंट पर ध्यान देना होगा ताकि विजिटर्स की संख्या लगातार बढ़ती रहे।

Conversion Rate:

कन्वर्ज़न रेट वो प्रतिशत होता है जो आपके ब्लॉग के विजिटर्स को कस्टमर्स या सब्सक्राइबर्स में बदलता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके ब्लॉग पर 100 विजिटर्स आते हैं और उनमें से 5 लोग आपके प्रोडक्ट को खरीदते हैं या आपकी मेलिंग लिस्ट को सब्सक्राइब करते हैं, तो आपका कन्वर्ज़न रेट 5% होगा। कन्वर्ज़न रेट बढ़ाने के लिए आकर्षक ऑफर, क्लियर कॉल टू एक्शन (CTA), और यूजर-फ्रेंडली डिज़ाइन पर फोकस करना जरूरी है।

Revenue Per Visitor:

रेवेन्यू पर विजिटर का मतलब है कि आपके ब्लॉग पर आने वाले हर विजिटर से कितना रेवेन्यू जनरेट हो रहा है। यह मीट्रिक आपको बताता है कि आपका कंटेंट और मार्केटिंग कितनी प्रभावी है। अगर प्रति विजिटर रेवेन्यू कम है, तो इसका मतलब हो सकता है कि आपको अपने मोनेटाइजेशन स्ट्रेटेजीज़ को रिव्यू करने की ज़रूरत है, जैसे कि अफिलिएट लिंक्स, स्पॉन्सरशिप्स, या प्रोडक्ट सेल्स को ऑप्टिमाइज़ करना।

Customer Acquisition Cost (CAC):

कस्टमर एक्विजिशन कॉस्ट (CAC) का मतलब है कि एक कस्टमर को हासिल करने का कुल खर्च कितना है। इसमें एडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग, और सेल्स का खर्च शामिल होता है। अगर आपका CAC ज्यादा है और रेवेन्यू कम, तो इसका मतलब है कि आपका ब्लॉगिंग बिज़नेस सस्टेनेबल नहीं है। इसलिए CAC को कम करने के लिए आपको एफिशियंट मार्केटिंग टेक्नीक्स का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि कंटेंट मार्केटिंग, SEO, और सोशल मीडिया प्रमोशन।

Lifetime Value (LTV):

लाइफटाइम वैल्यू (LTV) का मतलब है कि एक कस्टमर से जीवनकाल में होने वाली कुल इनकम। यह मीट्रिक बताता है कि एक कस्टमर आपके साथ कितना समय बिताता है और उस दौरान कितनी बार खरीदारी करता है। अगर LTV ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि आपके कस्टमर्स लॉयल हैं और आपकी प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ से संतुष्ट हैं। LTV बढ़ाने के लिए आपको कस्टमर रिटेंशन पर ध्यान देना चाहिए, जैसे कि क्वालिटी सर्विस, रेगुलर अपडेट्स, और वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स ऑफर करना।

ब्लॉग ROI कैलकुलेट करने के स्टेप्स 

1. Set Clear Goals:

सबसे पहले अपने ब्लॉग के लिए क्लियर और मीजरेबल गोल्स सेट करें। ये गोल्स आपके ब्लॉग की दिशा तय करते हैं और आपको फोकस बनाए रखने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका लक्ष्य है कि अगले 6 महीनों में 10,000 नए सब्सक्राइबर्स हासिल करने हैं, तो यह एक मीजरेबल गोल है जिसे आप ट्रैक कर सकते हैं। ऐसे गोल्स सेट करने से आपको यह पता चलता है कि आपके ब्लॉगिंग एफर्ट्स कितने प्रभावी हैं और आपको कौन से एरियाज में सुधार करना है।

2. Track Expenses:

अपने ब्लॉग से जुड़ी सभी खर्चों को ट्रैक करें, जैसे होस्टिंग, मार्केटिंग, और टूल्स। खर्चों को ट्रैक करना इसलिए ज़रूरी है ताकि आप यह जान सकें कि आपका इन्वेस्टमेंट किस जगह जा रहा है और उससे क्या रिटर्न मिल रहा है। इसके लिए आप एक्सेल शीट्स, अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर, या फाइनेंशियल मैनेजमेंट टूल्स का उपयोग कर सकते हैं। ट्रैकिंग से आपको अपने बजट को सही तरीके से मैनेज करने में मदद मिलती है और आप अनावश्यक खर्चों को कम कर सकते हैं।

3. Monitor Traffic:

Google Analytics जैसे टूल्स का उपयोग करके ब्लॉग ट्रैफिक को मॉनिटर करें। ट्रैफिक मॉनिटर करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे आपको यह पता चलता है कि कितने लोग आपके ब्लॉग पर आ रहे हैं, वे कौन से पेजेस पर ज्यादा समय बिता रहे हैं, और कौन से सोर्सेस से ट्रैफिक आ रहा है। इससे आप अपने ब्लॉगिंग स्ट्रेटेजीज़ को और भी बेहतर बना सकते हैं और उन चैनल्स पर ज्यादा फोकस कर सकते हैं जो आपके लिए सबसे ज्यादा ट्रैफिक लाते हैं।

4. Measure Conversions:

गूगल एनालिटिक्स या अन्य टूल्स का उपयोग करके कन्वर्ज़न को मापें। कन्वर्ज़न मापना इसलिए ज़रूरी है ताकि आप जान सकें कि आपके ब्लॉग के विजिटर्स कितने प्रतिशत कस्टमर्स, सब्सक्राइबर्स, या लीड्स में बदल रहे हैं। अगर कन्वर्ज़न रेट कम है, तो आपको अपने CTA (Call to Action), ऑफर्स, और लैंडिंग पेजेस पर ध्यान देना चाहिए ताकि आप इसे सुधार सकें और ज्यादा कन्वर्ज़न हासिल कर सकें।

5. Calculate Revenue:

ब्लॉग से होने वाले कुल रेवेन्यू की गणना करें। रेवेन्यू कैलकुलेट करना इसलिए ज़रूरी है ताकि आप यह समझ सकें कि आपके ब्लॉगिंग एफर्ट्स से आपको कितना फाइनेंशियल बेनिफिट हो रहा है। इसके लिए आप एड्स, अफिलिएट मार्केटिंग, स्पॉन्सरशिप्स, और प्रोडक्ट सेल्स से आने वाले सभी इनकम को जोड़ सकते हैं। इस गणना से आपको अपने ब्लॉग की प्रोफिटेबिलिटी का सही अंदाजा होगा और आप अपने आरओआई को बेहतर बना सकेंगे।

डिटेल्ड मैट्रिक्स 

1. Bounce Rate:

बाउंस रेट वो प्रतिशत है जो आपके ब्लॉग पर आने वाले विजिटर्स का होता है जो बिना किसी इंटरैक्शन के तुरंत वेबसाइट छोड़ देते हैं। इसका मतलब है कि विजिटर ने आपके ब्लॉग पर सिर्फ एक पेज देखा और फिर वे वापस चले गए। हाई बाउंस रेट का मतलब हो सकता है कि आपका कंटेंट या वेबसाइट डिज़ाइन विजिटर्स को एंगेज नहीं कर पा रहा है। इसे कम करने के लिए आपको आकर्षक कंटेंट, क्लियर नेविगेशन, और बेहतर यूजर एक्सपीरियंस पर ध्यान देना चाहिए।

2. Engagement Rate:

एंगेजमेंट रेट आपके ब्लॉग पर विजिटर्स द्वारा किए गए इंटरैक्शन की संख्या को दर्शाता है, जैसे कि कमेंट्स, शेयर, और लाइक्स। यह मीट्रिक बताता है कि आपका कंटेंट रीडर्स के साथ कितनी अच्छी तरह से कनेक्ट हो रहा है। अगर आपका एंगेजमेंट रेट हाई है, तो इसका मतलब है कि लोग आपके कंटेंट को पसंद कर रहे हैं और उससे जुड़ रहे हैं। इसे बढ़ाने के लिए आप इंट्रेस्टिंग और इंटरैक्टिव कंटेंट क्रिएट कर सकते हैं, जैसे कि पोल्स, क्विज़, या डिस्कशन टॉपिक्स।

3. Page Views:

पेज व्यूज़ का मतलब है कि आपके ब्लॉग पर कुल कितने पेज देखे गए हैं। यह एक बेसिक लेकिन महत्वपूर्ण मीट्रिक है जो आपके ब्लॉग की पॉपुलैरिटी और कंटेंट की रीच को दर्शाता है। अगर आपके पेज व्यूज़ ज्यादा हैं, तो इसका मतलब है कि लोग आपके ब्लॉग पर समय बिता रहे हैं और अलग-अलग पेजेस को एक्सप्लोर कर रहे हैं। पेज व्यूज़ बढ़ाने के लिए आपको इंटरनल लिंकिंग, रिलेटेड पोस्ट्स, और क्वालिटी कंटेंट पर फोकस करना चाहिए।

4. Average Session Duration:

एवरेज सेशन ड्यूरेशन का मतलब है कि एक विजिटर ने आपके ब्लॉग पर औसतन कितना समय बिताया। यह मीट्रिक बताता है कि विजिटर्स आपके कंटेंट में कितनी देर तक रुचि रखते हैं। अगर औसत समय ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि आपका कंटेंट एंगेजिंग और इन्फॉर्मेटिव है। इसे बढ़ाने के लिए आपको डीप कंटेंट, वीडियो एम्बेड्स, और लंबी फॉर्म ब्लॉग पोस्ट्स क्रिएट करनी चाहिए जो विजिटर्स को अधिक समय तक रोके रखें।

5. Content Performance:

कंटेंट परफॉर्मेंस एनालिसिस का मतलब है कि आपके ब्लॉग पर कौन से कंटेंट पीस सबसे अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं, इसका आकलन करना। इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि किस तरह का कंटेंट आपकी ऑडियंस को सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है और कौन से टॉपिक्स पर आपको और ज्यादा फोकस करना चाहिए। इसके लिए आप ट्रैफिक, एंगेजमेंट, और कन्वर्ज़न रेट्स को मॉनिटर कर सकते हैं। अच्छे परफॉर्म करने वाले कंटेंट पीस को प्रमोट करना और उनसे सीखकर नए कंटेंट क्रिएट करना आपके ब्लॉग की ग्रोथ में मदद कर सकता है।

इन मेट्रिक्स का उपयोग करके, आप अपने ब्लॉग का आरओआई कैलकुलेट कर सकते हैं और अपने ब्लॉगिंग स्ट्रेटेजी को ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं ताकि बेहतर रिटर्न मिल सके।

डेटा, आँकड़े और एक्सपर्ट्स इनसाइट्स 

स्टडीज से पता चलता है कि एक सफल ब्लॉग का औसत ट्रैफिक वॉल्यूम प्रति माह 100,000 से 500,000 विजिटर्स के बीच होता है। HubSpot के एक सर्वे के अनुसार, हाई ट्रैफिक वाले ब्लॉग्स में कस्टमर्स बनने की संभावना 13 गुना अधिक होती है ।

गूगल के एक रिसर्च के अनुसार, औसत ब्लॉग कन्वर्ज़न रेट 1% से 3% के बीच होता है। HubSpot ने यह भी पाया कि जिन ब्लॉग्स पर नियमित और क्वालिटी कंटेंट पब्लिश किया जाता है, उनका कन्वर्ज़न रेट 6% तक बढ़ सकता है ।

MonetizePros की एक रिपोर्ट के अनुसार, औसत ब्लॉग प्रति विजिटर $0.01 से $0.10 के बीच रेवेन्यू जनरेट करता है। हालांकि, यह रेवेन्यू निच के हिसाब से वेरियेट कर सकता है। उदाहरण के लिए, फाइनेंस और टेक्नोलॉजी ब्लॉग्स का प्रति विजिटर रेवेन्यू $0.15 से $0.30 तक हो सकता है ।

Content Marketing Institute की एक स्टडी के अनुसार, कंटेंट मार्केटिंग के माध्यम से कस्टमर हासिल करने की लागत पारंपरिक मार्केटिंग की तुलना में 62% कम होती है। ब्लॉगिंग के ज़रिए CAC को कम करना संभव है, खासकर अगर आप ऑर्गैनिक ट्रैफिक पर फोकस करते हैं ।

McKinsey & Company के अनुसार, ग्राहक की लाइफटाइम वैल्यू (LTV) को बढ़ाने के लिए ब्रांड्स को ग्राहकों के साथ लॉन्ग-टर्म इंगेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए। ब्लॉग्स जो वैल्यू-ड्रिवन कंटेंट प्रदान करते हैं, वे ग्राहक के LTV को 30% तक बढ़ा सकते हैं ।

यह डेटा ब्लॉग ROI को मापने में सहायक साबित हो सकता है और आपको यह समझने में मदद करेगा कि आपके ब्लॉगिंग एफर्ट्स का कितना इम्पैक्ट हो रहा है।

फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेश्चनस 

1. ब्लॉग ROI क्या होता है?

Answer: ब्लॉग ROI (Return on Investment) से मतलब है कि आपने अपने ब्लॉग पर जो समय, पैसा और संसाधन इन्वेस्ट किए हैं, उसके मुकाबले आपको कितनी रिटर्न मिल रही है। यह मेट्रिक आपके ब्लॉग की सफलता को मापने में मदद करता है।

2. ब्लॉग ROI को मापना क्यों ज़रूरी है?

Answer: ब्लॉग ROI को मापना ज़रूरी है ताकि आप यह जान सकें कि आपके ब्लॉगिंग प्रयास कितने प्रभावी हैं और यह सुनिश्चित कर सकें कि आप सही दिशा में काम कर रहे हैं।

3. ब्लॉग ROI को मापने के लिए कौन से मुख्य मैट्रिक्स होते हैं?

Answer: ट्रैफिक वॉल्यूम, कन्वर्ज़न रेट, प्रति विजिटर रेवेन्यू, कस्टमर एक्विज़िशन कॉस्ट (CAC), और लाइफटाइम वैल्यू (LTV) मुख्य मैट्रिक्स होते हैं।

4. ट्रैफिक वॉल्यूम क्या है और यह ब्लॉग ROI में कैसे मदद करता है?

Answer: ट्रैफिक वॉल्यूम ब्लॉग पर आने वाले कुल विजिटर्स की संख्या को दर्शाता है। ज्यादा ट्रैफिक का मतलब है कि आपका ब्लॉग अधिक लोगों तक पहुंच रहा है, जिससे ROI बढ़ सकता है।

5. कन्वर्ज़न रेट कैसे कैलकुलेट करते हैं?

Answer: कन्वर्ज़न रेट कैलकुलेट करने के लिए, (टोटल कन्वर्ज़न/टोटल विजिटर्स) x 100 किया जाता है। यह प्रतिशत बताता है कि आपके विजिटर्स में से कितने लोग आपके डेसायर्ड एक्शन को पूरा कर रहे हैं।

6. Revenue Per Visitor (RPV) क्या होता है?

Answer: RPV का मतलब है कि आपके ब्लॉग पर आने वाले हर विजिटर से आपको कितना रेवेन्यू मिल रहा है। इसे कैलकुलेट करने के लिए, (टोटल रेवेन्यू/टोटल विजिटर्स) का उपयोग किया जाता है।

7. कस्टमर एक्विज़िशन कॉस्ट (CAC) क्या होता है?

Answer: CAC वह खर्च है जो आपको एक नए कस्टमर को हासिल करने में लगता है। इसे कम करने से आपका ROI बढ़ सकता है।

8. लाइफटाइम वैल्यू (LTV) कैसे कैलकुलेट करते हैं?

Answer: LTV कैलकुलेट करने के लिए, (एवरेज परचेज वैल्यू) x (परचेज फ्रिक्वेंसी) x (कस्टमर लाइफस्पैन) का उपयोग किया जाता है। यह बताता है कि एक कस्टमर से आपको लाइफटाइम में कितनी इनकम हो सकती है।

9. ब्लॉग के ट्रैफिक वॉल्यूम को कैसे बढ़ाया जा सकता है?

Answer: ट्रैफिक बढ़ाने के लिए SEO ऑप्टिमाइज़ेशन, सोशल मीडिया प्रमोशन, और रेगुलर क्वालिटी कंटेंट पब्लिश करना जरूरी है।

10. कन्वर्ज़न रेट को बढ़ाने के लिए कौन सी स्ट्रेटेजीज़ काम में ली जा सकती हैं?

Answer: कन्वर्ज़न रेट बढ़ाने के लिए क्लियर कॉल टू एक्शन, ए/बी टेस्टिंग, और यूजर-फ्रेंडली डिज़ाइन का उपयोग किया जा सकता है।

11. ब्लॉग के लिए प्रति विजिटर रेवेन्यू कैसे बढ़ाया जा सकता है?

Answer: RPV बढ़ाने के लिए आप अफिलिएट मार्केटिंग, प्रोडक्ट सेल्स, और एड्स जैसी मोनेटाइजेशन स्ट्रेटेजीज़ का उपयोग कर सकते हैं।

12. CAC को कैसे कम किया जा सकता है?

Answer: CAC कम करने के लिए आप ऑर्गैनिक ट्रैफिक, रेफरल्स, और कंटेंट मार्केटिंग पर फोकस कर सकते हैं ताकि पेड एड्स की जरूरत कम हो जाए।

13. ब्लॉग ROI को सुधारने के लिए कौन सी मेजरमेंट टूल्स का उपयोग किया जा सकता है?

Answer: Google Analytics, SEMrush, और HubSpot जैसे टूल्स का उपयोग करके आप अपने ब्लॉग ROI को ट्रैक और सुधार सकते हैं।

14. Bounce Rate ब्लॉग ROI को कैसे प्रभावित करता है?

Answer: हाई बाउंस रेट का मतलब है कि विजिटर्स आपकी साइट से जल्दी निकल रहे हैं, जिससे कन्वर्ज़न और ROI पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है।

15. Engagement Rate का ब्लॉग ROI पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Answer: हाई एंगेजमेंट रेट का मतलब है कि विजिटर्स आपके कंटेंट से जुड़े हुए हैं, जो कन्वर्ज़न बढ़ाने और ROI सुधारने में मदद करता है।

16. Page Views ब्लॉग ROI को कैसे प्रभावित करता है?

Answer: ज्यादा पेज व्यूज़ का मतलब है कि विजिटर्स आपकी साइट पर अधिक समय बिता रहे हैं, जिससे ब्रांड अवेयरनेस और ROI बढ़ता है।

17. Average Session Duration ब्लॉग ROI के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

Answer: औसत सेशन ड्यूरेशन बताता है कि विजिटर आपके ब्लॉग पर कितना समय बिता रहे हैं। ज्यादा समय का मतलब है कि विजिटर्स कंटेंट में रुचि ले रहे हैं, जिससे कन्वर्ज़न और ROI में सुधार होता है।

18. Content Performance ब्लॉग ROI को कैसे प्रभावित करता है?

Answer: अच्छे परफॉर्म करने वाले कंटेंट पीस विजिटर्स को एंगेज और कन्वर्ट करने में मदद करते हैं, जिससे ROI बढ़ता है।

19. ब्लॉग ROI में सुधार के लिए कौन सी बेस्ट प्रैक्टिसेज़ हैं?

Answer: बेस्ट प्रैक्टिसेज़ में रेगुलर कंटेंट अपडेट्स, SEO ऑप्टिमाइज़ेशन, और ऑडियंस एनालिसिस शामिल हैं।

20. ब्लॉग ROI को ट्रैक करने के लिए कितनी बार एनालिसिस करनी चाहिए?

Answer: ब्लॉग ROI को ट्रैक करने के लिए हर महीने या हर क्वार्टर में एनालिसिस करनी चाहिए ताकि आप ट्रेंड्स को समझ सकें और सुधार के उपाय कर सकें।

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